एक इमरोज़ चाहिए -नीलम प्रभा: Difference between revisions
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तो कैसे कह दिया ... कि आगे कुछ नहीं ! | तो कैसे कह दिया ... कि आगे कुछ नहीं ! | ||
और बहस की दरकार तो पड़ेगी ना ! | और बहस की दरकार तो पड़ेगी ना ! | ||
हम नहीं चाहेंगे | |||
कि कोई भी और गुनाह करें | कि कोई भी और गुनाह करें | ||
पर मोहब्बत ! | पर मोहब्बत ! |
Latest revision as of 10:56, 27 January 2022
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उन्होंने कहा, |
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