गर्म पकौड़ी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला: Difference between revisions

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गर्म पकौड़ी-
ऐ गर्म पकौड़ी,
ऐ गर्म पकौड़ी,
तेल की भुनी
तेल की भुनी
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दिल ले कर फिर कपड़े-सा फींचा,
दिल ले कर फिर कपड़े-सा फींचा,
अरी, तेरे लिए छोड़ी
अरी, तेरे लिए छोड़ी
बम्‍हन की पकाई
बम्‍हन की पकाई
मैंने घी की कचौड़ी। </poem>
मैंने घी की कचौड़ी।  
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Revision as of 11:40, 23 August 2011

गर्म पकौड़ी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
जन्म 21 फ़रवरी, 1896
जन्म स्थान मेदनीपुर ज़िला, बंगाल (पश्चिम बंगाल)
मृत्यु 15 अक्टूबर, सन 1961
मृत्यु स्थान प्रयाग, भारत
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की रचनाएँ

गर्म पकौड़ी-
ऐ गर्म पकौड़ी,
तेल की भुनी
नमक मिर्च की मिली,
ऐ गर्म पकौड़ी !
मेरी जीभ जल गयी
सिसकियां निकल रहीं,
लार की बूंदें कितनी टपकीं,
पर दाढ़ तले दबा ही रक्‍खा मैंने

कंजूस ने ज्‍यों कौड़ी,
पहले तूने मुझ को खींचा,
दिल ले कर फिर कपड़े-सा फींचा,
अरी, तेरे लिए छोड़ी
बम्‍हन की पकाई
मैंने घी की कचौड़ी।




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