खुला आसमान -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला: Difference between revisions
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लड़कियाँ घरों को कर भासमान! | लड़कियाँ घरों को कर भासमान! | ||
लोग गाँव-गाँव को चले, | लोग गाँव-गाँव को चले, | ||
कोई | कोई बाज़ार, कोई बरगद के पेड़ के तले | ||
जाँघिया-लँगोटा ले, सँभले, | जाँघिया-लँगोटा ले, सँभले, | ||
तगड़े-तगड़े सीधे नौजवान! | तगड़े-तगड़े सीधे नौजवान! |
Revision as of 14:20, 31 August 2011
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बहुत दिनों बाद खुला आसमान! |
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