उड़ि गुलाल घूँघर भई -बिहारी लाल: Difference between revisions
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उड़ि गुलाल घूँघर भई तनि रह्यो लाल बितान। | उड़ि गुलाल घूँघर भई तनि रह्यो लाल बितान। | ||
चौरी चारु | चौरी चारु निकुंजन में ब्याह फाग सुखदान॥ | ||
फूलन के सिर सेहरा, फाग रंग रँगे बेस। | |||
भाँवर ही में दौड़ते, लै गति सुलभ सुदेस॥ | |||
भीण्यो केसर रंगसूँ लगे अरुन पट पीत। | भीण्यो केसर रंगसूँ लगे अरुन पट पीत। | ||
डालै चाँचा | डालै चाँचा चौक में गहि बहियाँ दोउ मीत॥ | ||
रच्यौ रँगीली | |||
रच्यौ रँगीली रैन में, होरी के बिच ब्याह। | |||
बनी बिहारन रसमयी रसिक बिहारी नाह॥ | बनी बिहारन रसमयी रसिक बिहारी नाह॥ | ||
Revision as of 07:37, 8 September 2011
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उड़ि गुलाल घूँघर भई तनि रह्यो लाल बितान। |
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