मैं अपनौ मनभावन लीनों -बिहारी लाल: Difference between revisions

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मैं अपनौ मनभावन लीनों॥
मैं अपनौ मनभावन लीनों॥
इन लोगनको कहा कीनों मन दै मोल लियो री सजनी।
इन लोगन को कहा कीनों,
रत्न अमोलक नंददुलारो नवल लाल रंग भीनों॥
मन दै मोल लियो री सजनी।
कहा भयो सबके मुख मोरे मैं पायो पीव प्रवीनों।
रत्न अमोलक नंददुलारो,
रसिक बिहारी प्यारो प्रीतम सिर बिधना लिख दीनों॥  
नवल लाल रंग भीनों॥
कहा भयो सबके मुख मोरे,
मैं पायो पीव प्रवीनों।
रसिक बिहारी प्यारो प्रीतम,
सिर बिधना लिख दीनों॥  


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Revision as of 07:48, 8 September 2011

मैं अपनौ मनभावन लीनों -बिहारी लाल
कवि बिहारी लाल
जन्म 1595
जन्म स्थान ग्वालियर
मृत्यु 1663
मुख्य रचनाएँ बिहारी सतसई
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बिहारी लाल की रचनाएँ

मैं अपनौ मनभावन लीनों॥
इन लोगन को कहा कीनों,
मन दै मोल लियो री सजनी।
रत्न अमोलक नंददुलारो,
नवल लाल रंग भीनों॥
कहा भयो सबके मुख मोरे,
मैं पायो पीव प्रवीनों।
रसिक बिहारी प्यारो प्रीतम,
सिर बिधना लिख दीनों॥

















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