प्रपात के प्रति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला: Difference between revisions
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अंचल के चंचल क्षुद्र प्रपात ! | अंचल के चंचल क्षुद्र प्रपात ! | ||
मचलते हुए निकल आते हो; | मचलते हुए निकल आते हो; | ||
उज्ज्वल! घन-वन-अंधकार के साथ | |||
खेलते हो क्यों? क्या पाते हो ? | खेलते हो क्यों? क्या पाते हो ? | ||
अंधकार पर इतना प्यार, | अंधकार पर इतना प्यार, |
Revision as of 14:07, 6 March 2012
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अंचल के चंचल क्षुद्र प्रपात ! |
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