कुमार मणिभट्ट: Difference between revisions

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कैसी करौं हहरैं हियरा, हरि आए नहीं उलही हरियाई</poem></blockquote>
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Latest revision as of 06:09, 9 August 2012

  • रीति काल के कवि कुमार मणिभट्ट का कुछ जीवन वृत्त ज्ञात नहीं।
  • इन्होंने संवत 1803 के लगभग 'रसिकरसाल' नामक एक बहुत अच्छा रीतिग्रंथ लिखा था।
  • ग्रंथ में इन्होंने स्वयं को 'हरिबल्लभ' का पुत्र कहा है।
  • शिवसिंह ने इन्हें गोकुलवासी कहा है।

गावैं बधू मधुरै सुर गीतन प्रीतम संग न बाहिर आई।
छाई कुमार नई छिति में छबि मानो बिछाई नई दरियाई
ऊँचे अटा चढ़ि देखि चहूँ दिसि बोली यों बाल गरो भरिआई।
कैसी करौं हहरैं हियरा, हरि आए नहीं उलही हरियाई


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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