लालच दास: Difference between revisions
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<poem>पंद्रह सौ सत्तासी जहिया । समय बिलंबित बरनौं तहिया | <blockquote><poem>पंद्रह सौ सत्तासी जहिया । समय बिलंबित बरनौं तहिया | ||
मास असाढ़ कथा अनुसारी । हरिबासर रजनी उजियारी | मास असाढ़ कथा अनुसारी । हरिबासर रजनी उजियारी | ||
सकल संत कहँ नावौं माथा । बलि बलि जैहौं जादवनाथा | सकल संत कहँ नावौं माथा । बलि बलि जैहौं जादवनाथा | ||
रायबरेली बरनि अवासा । लालच रामनाम कै आसा</poem> | रायबरेली बरनि अवासा । लालच रामनाम कै आसा</poem></blockquote> | ||
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Latest revision as of 14:37, 27 November 2013
लालचदास रायबरेली के एक हलवाई थे। इन्होंने संवत 1585 में 'हरिचरित' और संवत 1587 में 'भागवत दशम स्कंध भाषा' नाम की पुस्तक अवधी मिश्रित भाषा में लिखी थी।
- लालचदास की उपरोक्त दोनों पुस्तकें काव्य की दृष्टि से सामान्य श्रेणी की हैं और दोहे तथा चौपाइयों में लिखी गई हैं।
- 'भागवत दशम स्कंध भाषा' का उल्लेख हिंदुस्तानी के फ़ारसी विद्वान 'गार्सां द तासी' ने किया है और लिखा है कि उसका अनुवाद फ़ारसी में हुआ है।
- 'भागवत भाषा' में इस प्रकार की चौपाइयाँ लिखी गई हैं-
पंद्रह सौ सत्तासी जहिया । समय बिलंबित बरनौं तहिया
मास असाढ़ कथा अनुसारी । हरिबासर रजनी उजियारी
सकल संत कहँ नावौं माथा । बलि बलि जैहौं जादवनाथा
रायबरेली बरनि अवासा । लालच रामनाम कै आसा
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