गोपालचन्द्र 'गिरिधरदास': Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''गोपालचन्द्र गिरिधरदास''' श्री काले हर्षचन्द्र के प...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''गोपालचन्द्र गिरिधरदास''' श्री काले हर्षचन्द्र के पुत्र तथा [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] के [[पिता]] थे। बाबू गोपालचन्द्र ‘गिरिधरदास’ का जन्म [[काशी]] में सन | '''गोपालचन्द्र गिरिधरदास''' श्री काले हर्षचन्द्र के पुत्र तथा [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] के [[पिता]] थे। बाबू गोपालचन्द्र ‘गिरिधरदास’ का जन्म [[काशी]] में सन 1833 ई. में हुआ था।<ref>{{cite web |url=http://www.kashikatha.com/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0/ |title=काशी कथा, साहित्यकार|accessmonthday= 10 जनवरी|accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
*गिरिधर महाराज के कृपापात्र होने के कारण गोपालचन्द्र ने 'गिरिधरदास' उपनाम रखा था। | *गिरिधर महाराज के कृपापात्र होने के कारण गोपालचन्द्र ने 'गिरिधरदास' उपनाम रखा था। |
Latest revision as of 10:53, 10 January 2014
गोपालचन्द्र गिरिधरदास श्री काले हर्षचन्द्र के पुत्र तथा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के पिता थे। बाबू गोपालचन्द्र ‘गिरिधरदास’ का जन्म काशी में सन 1833 ई. में हुआ था।[1]
- गिरिधर महाराज के कृपापात्र होने के कारण गोपालचन्द्र ने 'गिरिधरदास' उपनाम रखा था।
- हिन्दी साहित्य का प्रथम नाटक ‘नहुष’ लिखने का श्रेय इन्हें प्राप्त है।
- गोपालचन्द्र गिरिधरदासने 1846 में तैरह वर्ष की न्यूनतम आयु में ‘वाल्मीकि रामायण’ के कई हिस्सों का भाषागत छन्द बद्ध अनुवाद किया था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ काशी कथा, साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 जनवरी, 2014।