गोविन्ददास कविराज: Difference between revisions

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Latest revision as of 12:01, 28 March 2014

गोविन्ददास बंगाली वैष्णव साहित्य के प्रसिद्ध कवियों में से एक थे। इन्हें चैतन्य महाप्रभु के परवर्ती कवियों में श्रेष्ठ माना जाता है। गोविन्ददास पहले शाक्त थे, लेकिन बाद के समय में वे वैष्णव हो गए थे।

  • गोविन्ददास का उल्लेख प्रमुख वैष्णव जीवनी ग्रंथ, जैसे- 'भक्तमाल', 'भक्तिरत्नाकर' और 'प्रेमविलास' में विस्तृत रूप से है। इन सबके अनुसार गोविन्ददास का जन्म 1530 ई. में 'श्रीखंड' में हुआ था।
  • 'तेलियाबुधरी' गोविन्ददास का ग्राम था। इनके पिता का नाम चिरंजीव सेन एवं माता का नाम सुनंदा था। इनके नाना ने, जिनका नाम दामोदर सेन था, अनाथ हो जाने पर इनको और इनके भाई रामचंद्र को पाला था।
  • गोविन्ददास पहले शाक्त थे, फिर वैष्णव हो गए। श्रीनिवास आचार्य इनके गुरु थे।
  • गोविन्ददास ने केवल 'ब्रजबुलि' में रचना की है। इनके समस्त पद राधा-कृष्ण की लीला से सम्बंधित हैं।
  • इनके पदों में समस्त काव्य गुण बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। छंद में अत्यंत सुंदर गति शब्दों के चयन द्वारा प्रस्तुत की गई है। अनुप्रासों की छटा भी अनुपम है। तत्सम एवं अर्ध-तत्सम शब्दों के प्रयोग से काव्य अत्यंत सुंदर हो उठा है। प्रकृति चित्रण, नख-शिख-वर्णन अत्यंत मनोमुग्धकारी है।
  • कहा जाता है, कवि ने अपने पदों का संग्रह गीतामृत नाम से स्वयं किया था। इनके प्राप्त पदों की संख्या 450 से ऊपर है।
  • गोविन्ददास की मृत्यु 1613 ई. के लगभग हुई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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