कृष्ण वल्लभ द्विवेदी: Difference between revisions

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'''कृष्ण वल्लभ द्विवेदी''' बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न व्यक्ति और [[कवि]] थे। वे भारतीय [[हिन्दी]] फ़िल्मों के लिए कई प्रसिद्ध देशभक्ति के गीत लिखने वाले [[प्रदीप|कवि प्रदीप]] के बड़े भाई थे। कवि प्रदीप अपने अग्रज कृष्ण वल्लभ द्विवेदी की छत्रछाया में ही रहते थे।
'''कृष्ण वल्लभ द्विवेदी''' बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न व्यक्ति और [[कवि]] थे। वे भारतीय [[हिन्दी]] फ़िल्मों के लिए कई प्रसिद्ध देशभक्ति के गीत लिखने वाले [[प्रदीप|कवि प्रदीप]] के बड़े भाई थे। कवि प्रदीप अपने अग्रज कृष्ण वल्लभ द्विवेदी की छत्रछाया में ही रहते थे।


*कृष्ण वल्लभ द्विवेदी में कई प्रतिभाएँ विद्यमान थीं। उनका दखल कई विधाओं पर था। वे अनुवादक, गद्यकार और [[कवि]] थे। उनके द्वारा अनूदित तीन यूरोपीय [[उपन्यास]] समादृत हो चुके थे।
*कृष्ण वल्लभ द्विवेदी में कई प्रतिभाएँ विद्यमान थीं। उनका दख़ल कई विधाओं पर था। वे अनुवादक, गद्यकार और [[कवि]] थे। उनके द्वारा अनूदित तीन यूरोपीय [[उपन्यास]] समादृत हो चुके थे।
*तत्कालीन प्रतिष्ठित [[पत्रिका]] '[[सरस्वती (पत्रिका)|सरस्वती]]' में कृष्ण वल्लभ जी का लेख 'हमारी सभ्यता' प्रकाशित होकर प्रशंसित हो चुका था और वे गद्यकार के रूप में जमने लगे थे।
*तत्कालीन प्रतिष्ठित [[पत्रिका]] '[[सरस्वती (पत्रिका)|सरस्वती]]' में कृष्ण वल्लभ जी का लेख 'हमारी सभ्यता' प्रकाशित होकर प्रशंसित हो चुका था और वे गद्यकार के रूप में जमने लगे थे।
*'पागल प्यार' नामक 180 पंक्तियों की उनकी [[कविता]] 'चांद' पात्रिका में प्रकाशित हो चुकी थी, पर उनकी मुख्य विधा गद्य ही रही।
*'पागल प्यार' नामक 180 पंक्तियों की उनकी [[कविता]] 'चांद' पात्रिका में प्रकाशित हो चुकी थी, पर उनकी मुख्य विधा गद्य ही रही।

Latest revision as of 11:30, 5 July 2017

कृष्ण वल्लभ द्विवेदी बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न व्यक्ति और कवि थे। वे भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के लिए कई प्रसिद्ध देशभक्ति के गीत लिखने वाले कवि प्रदीप के बड़े भाई थे। कवि प्रदीप अपने अग्रज कृष्ण वल्लभ द्विवेदी की छत्रछाया में ही रहते थे।

  • कृष्ण वल्लभ द्विवेदी में कई प्रतिभाएँ विद्यमान थीं। उनका दख़ल कई विधाओं पर था। वे अनुवादक, गद्यकार और कवि थे। उनके द्वारा अनूदित तीन यूरोपीय उपन्यास समादृत हो चुके थे।
  • तत्कालीन प्रतिष्ठित पत्रिका 'सरस्वती' में कृष्ण वल्लभ जी का लेख 'हमारी सभ्यता' प्रकाशित होकर प्रशंसित हो चुका था और वे गद्यकार के रूप में जमने लगे थे।
  • 'पागल प्यार' नामक 180 पंक्तियों की उनकी कविता 'चांद' पात्रिका में प्रकाशित हो चुकी थी, पर उनकी मुख्य विधा गद्य ही रही।
  • बड़े भाई कृष्ण वल्लभ द्विवेदी की गंभीर सारस्वत साधना का गहन प्रभाव कवि प्रदीप पर भी पड़ा था।
  • एक बार आकाशवाणी में साक्षात्कार के दौराब कृष्ण वल्लभ द्विवेदी से जब यह प्रश्न पूछा गया कि 'उनकी वास्तविक लेखन-विधा गद्य है या पद्य' तो उन्होंने उत्तर दिया कि- "हम दो भाई हैं। भाइयों में प्राय: सपत्ति का बंटवारा हुआ करता है। अत: मैंने गद्य भाग स्वयं ले लिया है और पद्य की विरासत अनुज के लिए छोड़ दी है।"


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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