अब हम गुम हुए -बुल्ले शाह
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कवि
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बुल्ले शाह
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जन्म
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1680 ई.
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जन्म स्थान
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गिलानियाँ उच्च, वर्तमान पाकिस्तान
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मृत्यु
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1758 ई.
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मुख्य रचनाएँ
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बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ, अब हम गुम हुए, किते चोर बने किते काज़ी हो
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इन्हें भी देखें
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कवि सूची, साहित्यकार सूची
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अब हम गुम हुए प्रेम नगर के शहर
अपने आप नूं सोध गिआ हाँ
ना सर हाथ ना पैर
लथ्थे पगड़े पहले घर थीं
कौन करे निरवैर!
खुदी खोई अपना पद चीता
तब होई गल्ल खैर
बुल्ला शाह है दोहीं जहानीं
कोई ना दिसदा गैर
अब हम गुम हुए प्रेम नगर के शहर
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हिन्दी अनुवाद
अब हम ग़ुम हुए प्रेम नगर के शहर अपने आप को जाँच रहा हूँ। ना सर हाथ ना पैर हम धुत्कारे पहले घर के कौन करे निरवैर! खोई ख़ुदी मनसब पहचाना जब देखी है ख़ैर। दोनों जहाँ में है बुल्ला शाह कोई नहीं है ग़ैर। अब हम ग़ुम हुए प्रेम नगर के शहर
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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