शिवसहाय दास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
  • रीति काल के कवि शिवसहाय दास जयपुर के रहने वाले थे।
  • इन्होंने संवत 1809 में 'शिव चौपाई' और 'लोकोक्ति रस कौमुदी' दो ग्रंथ बनाए।
  • 'लोकोक्ति रस कौमुदी' में विचित्रता यह है कि कहावतों को लेकर नायिका भेद कहा गया है -

करौ रुखाई नाहिंन बाम। बेगिहिं लै आऊँ घनस्याम
कहै पखानो भरि अनुराग। बाजी ताँत की बूझ्यो राग
बोलै निठुर पिया बिनु दोस। आपुहि तिय बैठी गहि रोस
कहै पखानो जेहि गहि मोन। बैल न कूद्यौ, कूदी गोन


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः