यवक्रीत

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 06:59, 10 February 2016 by नवनीत कुमार (talk | contribs) ('{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=यवक्रीत|लेख का नाम=यवक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Disamb2.jpg यवक्रीत एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- यवक्रीत (बहुविकल्पी)

यवक्रीत हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार भरद्वाज ऋषि के पुत्र एक ऋषि थे, जिसने घोर तप करके इंद्र को प्रसन्न किया, जिनके वर से इन्हें बिना अध्ययन के ही वेदों का ज्ञान प्राप्त हो गया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 437 |


संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः