सानू आ मिल यार पियारया -बुल्ले शाह

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:17, 19 February 2017 by रिंकू बघेल (talk | contribs) ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Bulleh-Shah.jpg...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
सानू आ मिल यार पियारया -बुल्ले शाह
कवि बुल्ले शाह
जन्म 1680 ई.
जन्म स्थान गिलानियाँ उच्च, वर्तमान पाकिस्तान
मृत्यु 1758 ई.
मुख्य रचनाएँ बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ, अब हम गुम हुए, किते चोर बने किते काज़ी हो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बुल्ले शाह की रचनाएँ

सानू आ मिल यार पियारया,
जद अपनी अपनी पै गई,
धी माँ नू लुट के लै गई,
मूह बाहरवीनां सदा पसारिया,
सानू आ मिल यार पिआरिया।
दर खुल्हा हशर अज़ाब दा,
विच हवियां दोज़ख मारिया,
सानू आ मिल यार पिआरिया।
बुल्हा शाह मेरे घर आवसी,
मेरी बल्दी भाह बुझावसी,
इनायत दम-दम नाल चितारया
सानू आ मिल यार पियारया।।


हिन्दी अनुवाद

हे प्रियतम हमसे आकर मिल।
सब लगे हैं अपनी स्वार्थ-सिद्धि में
बेटी माँ को लूट रही है
बारहवीं सदी आ गई है
आ पिया तू आकर हमसे मिल।
कष्टों और क़ब्र का दरवाज़ा खुल चुका अब
पंजाब की हालत और ख़राब
ठंडी आहों और हत्याओं से पंजाब कमज़ोर हो रहा है
हे प्रियतम आकर हमसे मिल।
हे ख़ुदा तू मेरे घर आ
इस प्रचण्ड आग को शान्त करा
हर साँस मेरी तुझे याद करे ख़ुदा
आ पिया तू आकर हमसे मिल।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः