तैं कारन हब्सी होए हाँ -बुल्ले शाह

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तैं कारन हब्सी होए हाँ -बुल्ले शाह
कवि बुल्ले शाह
जन्म 1680 ई.
जन्म स्थान गिलानियाँ उच्च, वर्तमान पाकिस्तान
मृत्यु 1758 ई.
मुख्य रचनाएँ बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ, अब हम गुम हुए, किते चोर बने किते काज़ी हो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बुल्ले शाह की रचनाएँ

तैं कारन हब्सी होए हाँ,
नौ दरवाजे बन्द कर सोए हाँ।
दर दसवें आन खलोए हाँ,
कदे मन मेरी असनाई।।


हिन्दी अनुवाद

तुम्हारे कारण मैं हब्सी (प्राणायाम करने वाला योगी) बन गया हूँ।
मैं नौ द्वार (दो नेत्र, दो कान, दो नथुने, एक मुख और प्रसव एवं अपनयन अंग) बन्द करके सो गया हूँ
मैं दसवें द्वार पर खड़ा हूँ
कृपया मेरा प्रेम स्वीकार करो।


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