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खबर वो ज़ायकेदार व्यंजन है-
अफवाहों का कोई धुरंधर पाकशास्त्री
जिसकी रेसिपी न बताता है
ना ही प्रेषित करता है
वह आप से आप तक
अपने आप पहुंच जाती है
और जिस जिसके पास हाजिरी लगाती है
उस उसकी नवाज़िश से
अपने चटपटे वजूद में
कुछ और जानदार मसाले पाती है
बड़े मशहूर हैं किस्से
सारे ज़माने में
बीरबल की खिचड़ी के
कि पकनी शुरू हुई
तो पकती ही चली गई
और उसका पकना बंद न हुआ
पर साहिबान !
अब कहां है बीरबल
और कहां है उसकी खिचड़ी !
लाख बोले इतिहास कि
बीरबल सा कोई दानिशमंद न हुआ
हम तो सदके जाते हैं
रिसाले की अम्माओं के ...
पान को लखनवी जामा देने वाला
उन जैसा कोई गुलकंद न हुआ
पकवानों के अंतरराष्ट्रीय अखाड़े में
सबको पटखनी देने वाला
उनके समान
कोई और जरासंध न हुआ
शब्दभेदी बाण के मंत्रों का आजतक
उनकी तरह महापंडित
कोई चंदबरदाई न था, न होगा
और उनकी मानिंद दगाबाज,
हकीक़तों का क़ातिल
दूसरा कोई जयचंद न हुआ।