बासी रोटियों में ब्रह्मांड -नीलम प्रभा

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बासी रोटियों में ब्रह्मांड -नीलम प्रभा
कवि नीलम प्रभा
जन्म 12 जुलाई
जन्म स्थान बक्सर, बिहार
अन्य नीलम प्रभा की वर्ष 1971 से वर्ष 1979 तक रचनाएं साप्ताहिक हिंदुस्तान, कादम्बिनी, धर्मयुग में नियमित प्रकाशित हुई।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
नीलम प्रभा की रचनाएँ

खाई हुई मिट्टी निकालने के लिए
यशोदा ने कृष्ण से जब कहा,
मुंह खोलो _
तो उन्हें पुत्र के मुंह में ब्रह्मांड दिखा
तो इसे जानिए
कि ब्रह्मांड के दर्शन
हर बच्चे के मुंह खोलने पर होंगे
ज़रूरत है
कि बच्चे को वैसे पाला जाए
जैसे यशोदा ने कृष्ण को पाला था ___
उसे एक लाठी और एक कंबल दीजिए,
और सुबह बासी रोटी खिलाकर
अगले चार प्रहर के लिए
गायों को चराने मधुवन भेजिए,
वह बांसुरी बजाए,
गोधन गाए,
माखन चुराए,
पूछने पर जब झूठ बोले
तो मां के हाथों ओखली से बांधा जाए,
इस दंड को वह माथे से लगाए
तब पूतना की मृत्यु,
कालिया के मर्दन
और कंस के वध का
वह माध्यम बन पाएगा,
गीता के दर्शन की भेंट देगा,
द्वापर युग का नायक कहलाएगा ___
पर नहीं,
उसे मात्र सुविधाओं में तोलकर
अपने सपनों का लक्ष्य थमाकर
आप उसको,
उसकी असीम क्षमताओं की अनंत धारा से
विच्छिन्न कर देते हैं .....
यशोदा ने अपना कोई सपना
पुत्र को नहीं सौंपा
क्या इसीलिए नहीं,
माधव में अंतर्निहित थी,
विराट रूप लेने की शक्ति ?
पुत्र हो या पुत्री,
उसमें एक युग के आविर्भाव की क्षमता है
इसे मानिए,
उसे धूप में चलने दीजिए,
उसे कठिन परिस्थितयों में पलने दीजिए,
इनमें छिपा उसके गुणों का विस्तार है
उसमें नटनागर साकार है,
हर एक को प्रकट होना है
क्योंकि हर एक
विष्णु का अप्रकट अवतार है।

नीलम प्रभा

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