Difference between revisions of "क़ादिर बख्श"

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*क़ादिर बख्श पिहानी, जिला हरदोई के रहने वाले और सैयद इब्राहीम <ref>एफ0 ई. के0 ने अपनी इस पुस्तक में [[रसखान]] के विषय में कहा है कि यह पहले मुसलमान थे और इनका नाम सैयद इब्राहीम था। ये [[कृष्ण]] के भक्त हुए हैं। इन्होंने कृष्ण की प्रशंसा में काव्य-रचना की जो अति सुन्दर एवं मधुर है। उनके एक शिष्य '''कादिर बख़्त''' थे। उन्होंने भी [[हिन्दी]] में काव्य-रचना की। ए हिस्ट्री आफ हिन्दी लिटरेचर, पृ0 68</ref> <ref>अब्राहम जार्ज ग्रियर्सन ने लिखा है सैयद इब्राहीम उपनाम रसखान कवि, हरदोई ज़िले के अंतर्गत पिहानी के रहने वाले, जन्म काल 1573 ई.। यह पहले मुसलमान थे। बाद में [[वैष्णव]] होकर [[ब्रज]] में रहने लगे थे। इनका वर्णन 'भक्तमाल' में है। इनके एक शिष्य '''कादिर बख्श''' हुए। हिन्दी-साहित्य का प्रथम इतिहास, पृ0 107</ref> के शिष्य थे।  
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'''क़ादिर बख्श''' पिहानी, ज़िला [[हरदोई]] के रहने वाले और सैयद इब्राहीम <ref>एफ0 ई. के0 ने अपनी इस पुस्तक में [[रसखान]] के विषय में कहा है कि यह पहले मुसलमान थे और इनका नाम सैयद इब्राहीम था। ये [[कृष्ण]] के भक्त हुए हैं। इन्होंने कृष्ण की प्रशंसा में काव्य-रचना की जो अति सुन्दर एवं मधुर है। उनके एक शिष्य '''कादिर बख़्त''' थे। उन्होंने भी [[हिन्दी]] में काव्य-रचना की। ए हिस्ट्री आफ हिन्दी लिटरेचर, पृ0 68</ref> <ref>अब्राहम जार्ज ग्रियर्सन ने लिखा है सैयद इब्राहीम उपनाम रसखान कवि, [[हरदोई]] ज़िले के अंतर्गत पिहानी के रहने वाले, जन्म काल 1573 ई.। यह पहले मुसलमान थे। बाद में [[वैष्णव]] होकर [[ब्रज]] में रहने लगे थे। इनका वर्णन 'भक्तमाल' में है। इनके एक शिष्य '''कादिर बख्श''' हुए। हिन्दी-साहित्य का प्रथम इतिहास, पृ0 107</ref> के शिष्य थे।  
 
*क़ादिर बख्श का जन्म संवत 1635 में माना जाता है। अत: इनका कविता काल संवत 1660 के आसपास समझा जा सकता है।  
 
*क़ादिर बख्श का जन्म संवत 1635 में माना जाता है। अत: इनका कविता काल संवत 1660 के आसपास समझा जा सकता है।  
*क़ादिर बख्श की कोई पुस्तक तो नहीं मिलती पर फुटकल कवित्त पाए जाते हैं। कविता ये चलती भाषा में अच्छी करते थे। इनका यह कवित्त लोगों के मुँह से बहुत सुनने में आता है,
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*क़ादिर बख्श की कोई पुस्तक तो नहीं मिलती पर फुटकल [[कवित्त]] पाए जाते हैं। कविता ये चलती भाषा में अच्छी करते थे। इनका यह कवित्त लोगों के मुँह से बहुत सुनने में आता है,
 
<poem>गुन को न पूछै कोऊ, औगुन की बात पूछै,  
 
<poem>गुन को न पूछै कोऊ, औगुन की बात पूछै,  
 
कहा भयो दई! कलिकाल यों खरानो है।
 
कहा भयो दई! कलिकाल यों खरानो है।
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*[[आचार्य रामचंद्र शुक्ल]] जी ने अपने ‘हिन्दी साहित्य के इतिहास’ नामक ग्रंथ में हरदोई से संबद्ध रसलीन, सम्मन, कादिर बख्श, [[सैय्यद मुबारक़ अली बिलग्रामी]] आदि का उल्लेख किया है।
 
*[[आचार्य रामचंद्र शुक्ल]] जी ने अपने ‘हिन्दी साहित्य के इतिहास’ नामक ग्रंथ में हरदोई से संबद्ध रसलीन, सम्मन, कादिर बख्श, [[सैय्यद मुबारक़ अली बिलग्रामी]] आदि का उल्लेख किया है।
  
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{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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Latest revision as of 13:17, 19 December 2013

qadir bakhsh pihani, zila haradoee ke rahane vale aur saiyad ibrahim [1] [2] ke shishy the.

  • qadir bakhsh ka janm sanvat 1635 mean mana jata hai. at: inaka kavita kal sanvat 1660 ke asapas samajha ja sakata hai.
  • qadir bakhsh ki koee pustak to nahian milati par phutakal kavitt pae jate haian. kavita ye chalati bhasha mean achchhi karate the. inaka yah kavitt logoan ke muanh se bahut sunane mean ata hai,

gun ko n poochhai kooo, augun ki bat poochhai,
kaha bhayo dee! kalikal yoan kharano hai.
pothi au puran jnan thatthan mean dari det,
chugul chabain ko man thaharano hai
kadir kahat yasoan kachhu kahibe ko nahian,
jagat ki rit dekhi chup man mano hai.
kholi dekhau hiyo sab oran soan bhaanti bhaanti,
gun na hirano, gunagahak hirano hai


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. eph0 ee. ke0 ne apani is pustak mean rasakhan ke vishay mean kaha hai ki yah pahale musalaman the aur inaka nam saiyad ibrahim tha. ye krishna ke bhakt hue haian. inhoanne krishna ki prashansa mean kavy-rachana ki jo ati sundar evan madhur hai. unake ek shishy kadir bakht the. unhoanne bhi hindi mean kavy-rachana ki. e histri aph hindi litarechar, pri0 68
  2. abraham jarj griyarsan ne likha hai saiyad ibrahim upanam rasakhan kavi, haradoee zile ke aantargat pihani ke rahane vale, janm kal 1573 ee.. yah pahale musalaman the. bad mean vaishnav hokar braj mean rahane lage the. inaka varnan 'bhaktamal' mean hai. inake ek shishy kadir bakhsh hue. hindi-sahity ka pratham itihas, pri0 107

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