गंगा -सुमित्रानंदन पंत: Difference between revisions
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|मृत्यु=[[28 दिसंबर]], 1977 | |मृत्यु=[[28 दिसंबर]], 1977 | ||
|मृत्यु स्थान=[[प्रयाग]], [[उत्तर प्रदेश]] | |मृत्यु स्थान=[[प्रयाग]], [[उत्तर प्रदेश]] | ||
|मुख्य रचनाएँ=वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद आदि | |मुख्य रचनाएँ=[[वीणा -सुमित्रानन्दन पंत|वीणा]], [[पल्लव -सुमित्रानन्दन पंत|पल्लव]], चिदंबरा, [[युगवाणी -सुमित्रानन्दन पंत|युगवाणी]], [[लोकायतन -सुमित्रानन्दन पंत|लोकायतन]], हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, [[युगपथ -सुमित्रानन्दन पंत|युगपथ]], [[स्वर्णकिरण -सुमित्रानन्दन पंत|स्वर्णकिरण]], कला और बूढ़ा चाँद आदि | ||
|यू-ट्यूब लिंक= | |यू-ट्यूब लिंक= | ||
|शीर्षक 1= | |शीर्षक 1= | ||
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आधा जल चंचल औ’, नीला-- | आधा जल चंचल औ’, नीला-- | ||
गीले तन पर मृदु संध्यातप | |||
सिमटा रेशम पट सा ढीला। | |||
ऐसे सोने के साँझ प्रात:, | |||
ऐसे सोने के साँझ प्रात, | |||
ऐसे चाँदी के दिवस रात, | ऐसे चाँदी के दिवस रात, | ||
ले जाती बहा कहाँ गंगा | |||
जीवन के युग क्षण,-- किसे ज्ञात! | जीवन के युग क्षण,-- किसे ज्ञात! | ||
Line 48: | Line 46: | ||
किरणोज्वल चल कल ऊर्मि निरत, | किरणोज्वल चल कल ऊर्मि निरत, | ||
यमुना, गोमती आदि से मिल | |||
होती यह सागर में परिणत। | होती यह सागर में परिणत। | ||
Line 55: | Line 52: | ||
जिसके तट पर बहु नगर प्रथित, | जिसके तट पर बहु नगर प्रथित, | ||
इस जड़ गंगा से मिली हुई | |||
जन गंगा एक और जीवित! | जन गंगा एक और जीवित! | ||
Line 62: | Line 58: | ||
वह भीष्म प्रसू औ’ जह्नु सुता, | वह भीष्म प्रसू औ’ जह्नु सुता, | ||
वह देव निम्नगा, स्वर्ग गंगा, | |||
वह सगर पुत्र तारिणी श्रुता। | वह सगर पुत्र तारिणी श्रुता। | ||
Line 69: | Line 64: | ||
वह लोक चेतना, यह माया, | वह लोक चेतना, यह माया, | ||
वह आत्म वाहिनी ज्योति सरी, | |||
यह भू पतिता, कंचुक काया। | यह भू पतिता, कंचुक काया। | ||
Line 76: | Line 70: | ||
जिसमें बहु बुदबुद युग नर्तित, | जिसमें बहु बुदबुद युग नर्तित, | ||
वह आज तरंगित, संसृति के | |||
मृत सैकत को करने प्लावित। | मृत सैकत को करने प्लावित। | ||
Line 83: | Line 76: | ||
वह बनी अकूल अतल सागर, | वह बनी अकूल अतल सागर, | ||
भर देगी दिशि पल पुलिनों में | |||
वह नव नव जीवन की मृद उर्वर! | |||
अब नभ पर रेखा शशि शोभित, | अब नभ पर रेखा शशि शोभित, | ||
गंगा का जल श्यामल, कम्पित, | गंगा का जल श्यामल, कम्पित, | ||
लहरों पर चाँदी की किरणें | |||
करतीं प्रकाशमय कुछ अंकित! | करतीं प्रकाशमय कुछ अंकित! | ||
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Latest revision as of 07:12, 14 September 2012
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अब आधा जल निश्चल, पीला,-- |
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