ताहि ते आयो सरन सबेरे -तुलसीदास: Difference between revisions
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ताहि ते आयो सरन सबेरे। | ताहि ते आयो सरन सबेरे। | ||
ग्यान बिराग भगति साधन कछु सपनेहुँ नाथ न | ग्यान बिराग भगति साधन कछु सपनेहुँ नाथ न मेरे॥11॥ | ||
लोभ मोह मद काम क्रोध रिपु फिरत रैन दिन घेरे। | लोभ मोह मद काम क्रोध रिपु फिरत रैन दिन घेरे। | ||
तिनहि मिले मन भयो कुपथ रत फिरै तिहारेहि फेरे॥2॥ | तिनहि मिले मन भयो कुपथ रत फिरै तिहारेहि फेरे॥2॥ |
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ताहि ते आयो सरन सबेरे। |
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