Difference between revisions of "राम राम रटु, राम राम रटु -तुलसीदास"
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अधिक-अधिक अनुराग उमँग उर, पर परमिति पहिचानै॥3॥ | अधिक-अधिक अनुराग उमँग उर, पर परमिति पहिचानै॥3॥ | ||
रामनाम-गत, रामनाम-मति, रामनाम अनुरागी। | रामनाम-गत, रामनाम-मति, रामनाम अनुरागी। | ||
− | ह्वै गये हैं जे होहिगे, त्रिभुवन, तेइ गनियत | + | ह्वै गये हैं जे होहिगे, त्रिभुवन, तेइ गनियत बड़भागी॥4॥ |
एक अंग मम अगम गवन कर, बिलमु न छिन-छिन छाहै। | एक अंग मम अगम गवन कर, बिलमु न छिन-छिन छाहै। | ||
तुलसी हित अपनो अपनी द्सि निरुपधि, नेम निबाहैं॥५॥ | तुलसी हित अपनो अपनी द्सि निरुपधि, नेम निबाहैं॥५॥ |
Revision as of 10:45, 1 November 2014
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ram ram ratu, ram ram ratu, ram ram japu jiha. |
sanbandhit lekh |