Difference between revisions of "राम राम रटु, राम राम रटु -तुलसीदास"
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राम-नाम-नवनेह-मेहको, मन! हठि होहि पपीहा॥1॥ | राम-नाम-नवनेह-मेहको, मन! हठि होहि पपीहा॥1॥ | ||
सब साधन-फल कूप सरित सर, सागर-सलिल निरासा। | सब साधन-फल कूप सरित सर, सागर-सलिल निरासा। | ||
− | राम-नाम-रति-स्वाति सुधा सुभ-सीकर प्रेम- | + | राम-नाम-रति-स्वाति सुधा सुभ-सीकर प्रेम-पियासा॥2॥ |
गरजि तरजि पाषान बरषि, पबि प्रीति परखि जिय जानै। | गरजि तरजि पाषान बरषि, पबि प्रीति परखि जिय जानै। | ||
− | अधिक-अधिक अनुराग उमँग उर, पर परमिति | + | अधिक-अधिक अनुराग उमँग उर, पर परमिति पहिचानै॥3॥ |
रामनाम-गत, रामनाम-मति, रामनाम अनुरागी। | रामनाम-गत, रामनाम-मति, रामनाम अनुरागी। | ||
− | ह्वै गये हैं जे होहिगे, त्रिभुवन, तेइ गनियत | + | ह्वै गये हैं जे होहिगे, त्रिभुवन, तेइ गनियत बड़भागी॥4॥ |
एक अंग मम अगम गवन कर, बिलमु न छिन-छिन छाहै। | एक अंग मम अगम गवन कर, बिलमु न छिन-छिन छाहै। | ||
− | तुलसी हित अपनो अपनी द्सि निरुपधि, नेम | + | तुलसी हित अपनो अपनी द्सि निरुपधि, नेम निबाहैं॥5॥ |
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Latest revision as of 11:20, 1 November 2014
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ram ram ratu, ram ram ratu, ram ram japu jiha. |
sanbandhit lekh |