केशव,कहि न जाइ -तुलसीदास: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
कात्या सिंह (talk | contribs) No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ") |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 31: | Line 31: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
केशव , | केशव , कहि न जाइ, का कहिये। | ||
देखत तव रचना विचित्र अति ,समुझि मनहिमन रहिये। | देखत तव रचना विचित्र अति ,समुझि मनहिमन रहिये। | ||
शून्य भीति पर चित्र, रंग नहि तनु बिनु लिखा चितेरे। | शून्य भीति पर चित्र, रंग नहि तनु बिनु लिखा चितेरे। | ||
धोये मिटे न मरै भीति, | धोये मिटे न मरै भीति, दु:ख पाइय इति तनु हेरे। | ||
रविकर नीर बसै अति दारुन, मकर रुप तेहि माहीं। | रविकर नीर बसै अति दारुन, मकर रुप तेहि माहीं। | ||
बदन हीन सो ग्रसै चराचर, पान करन जे जाहीं। | बदन हीन सो ग्रसै चराचर, पान करन जे जाहीं। |
Latest revision as of 14:02, 2 June 2017
| ||||||||||||||||||
|
केशव , कहि न जाइ, का कहिये। |
संबंधित लेख |