वे आँखें -सुमित्रानंदन पंत: Difference between revisions
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|मृत्यु=[[28 दिसंबर]], 1977 | |मृत्यु=[[28 दिसंबर]], 1977 | ||
|मृत्यु स्थान=[[प्रयाग]], [[उत्तर प्रदेश]] | |मृत्यु स्थान=[[प्रयाग]], [[उत्तर प्रदेश]] | ||
|मुख्य रचनाएँ=वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद आदि | |मुख्य रचनाएँ=[[वीणा -सुमित्रानन्दन पंत|वीणा]], [[पल्लव -सुमित्रानन्दन पंत|पल्लव]], चिदंबरा, [[युगवाणी -सुमित्रानन्दन पंत|युगवाणी]], [[लोकायतन -सुमित्रानन्दन पंत|लोकायतन]], हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, [[युगपथ -सुमित्रानन्दन पंत|युगपथ]], [[स्वर्णकिरण -सुमित्रानन्दन पंत|स्वर्णकिरण]], कला और बूढ़ा चाँद आदि | ||
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|शीर्षक 1= | |शीर्षक 1= | ||
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उन आँखों से डरता है मन, | उन आँखों से डरता है मन, | ||
भरा दूर तक उनमें दारुण | भरा दूर तक उनमें दारुण | ||
दैन्य | दैन्य दु:ख का नीरव रोदन! | ||
अह, अथाह नैराश्य, विवशता का | अह, अथाह नैराश्य, विवशता का | ||
उनमें भीषण सूनापन, | उनमें भीषण सूनापन, | ||
Line 92: | Line 92: | ||
रहती तब आँखों में उस क्षण! | रहती तब आँखों में उस क्षण! | ||
हर्ष, शोक, अपमान, ग्लानि, | हर्ष, शोक, अपमान, ग्लानि, | ||
दु:ख दैन्य न जीवन का आकर्षण! | |||
उस अवचेतन क्षण में मानो | उस अवचेतन क्षण में मानो |
Latest revision as of 14:05, 2 June 2017
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अंधकार की गुहा सरीखी |
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