टी. पी. मीनाक्षीसुंदरम: Difference between revisions
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* इन्होंने दो दशकों तक [[मद्रास]] और अण्णामलौये में अध्यापन किया। बाद में वे मदुरै विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। | * इन्होंने दो दशकों तक [[मद्रास]] और अण्णामलौये में अध्यापन किया। बाद में वे मदुरै विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। |
Latest revision as of 14:37, 6 July 2017
थेन्नपट्टिनम पोन्नुस्वामी मीनाक्षीसुंदरम एक प्रसिद्ध तमिल साहित्यकार थे। ये विश्वविख्यात भाषावैज्ञानिक और द्रविड़ भाषाओं के अधिकारी विद्वान् थे। टी. पी. मीनाक्षीसुंदरम को सन् 1977 में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये तमिलनाडु से हैं।
संक्षिप्त परिचय
- इन्होंने दो दशकों तक मद्रास और अण्णामलौये में अध्यापन किया। बाद में वे मदुरै विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे।
- आरंभिक जीवन में ये ख्याति-प्राप्त गाँधीवादी कार्यकर्ता थे।
- इन्होंने ‘तमिल अनुसंधान की अंतर्राष्ट्रीय संस्था’ की स्थापना की।
- अमरीका के शिकागो विश्वविद्यालय में तमिल विभाग की स्थापना इन्हीं के उद्योग से हुई।
- तमिल विश्वकोश (तमिल कलैकळञचियम) में तमिल भाषा साहित्य पर अनेक प्रविष्टियाँ लिखीं।
- पूना में अंग्रेज़ी में प्रकाशित ‘तमिल भाषा का इतिहास’ एक मानक ग्रंथ है।
- साहित्य और भाषाविज्ञान के अतिरिक्त संस्कृति और इतिहास पर भी इनके अनेक महत्वपूर्ण निबंध है।
कृतियाँ
- ‘वक्कुवर नाटुम मककिसम’
- ‘तमिलानिनेलुप्पार’
- ‘पिरनततु निनैलुप्पार’
- ‘पिरनततु एप्पटियो’।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख