कलि नाम काम तरु रामको -तुलसीदास: Difference between revisions
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कलि नाम काम तरु | कलि नाम काम तरु राम को। | ||
दल निहार दारिद दुकाल दुख, दोष गोर घन घाम को॥1॥ | |||
नाम लेत दाहिनो होत मन, बाम बिधाता | नाम लेत दाहिनो होत मन, बाम बिधाता बाम को। | ||
कहत मुनीस महेस महतम, उलटे सूधे | कहत मुनीस महेस महतम, उलटे सूधे नाम को॥2॥ | ||
भलो लोक परलोक तासु जाके बल ललित- | भलो लोक परलोक तासु जाके बल ललित-ललाम को। | ||
तुलसी जग जानियत नामते सोच न कूच | तुलसी जग जानियत नामते सोच न कूच मुकाम को॥3॥ | ||
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Latest revision as of 05:55, 24 December 2011
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कलि नाम काम तरु राम को। |
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