माधवजू मोसम मंद न कोऊ -तुलसीदास: Difference between revisions
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माधवजू मोसम मंद न कोऊ। | माधवजू मोसम मंद न कोऊ। | ||
जद्यपि मीन पतंग हीनमति, मोहि नहिं पूजैं | जद्यपि मीन पतंग हीनमति, मोहि नहिं पूजैं ओऊ॥1॥ | ||
रुचिर रूप-आहार-बस्य उन्ह, पावक लोह न जान्यो। | रुचिर रूप-आहार-बस्य उन्ह, पावक लोह न जान्यो। | ||
देखत बिपति बिषय न तजत हौं ताते अधिक अयान्यो॥२॥ | देखत बिपति बिषय न तजत हौं ताते अधिक अयान्यो॥२॥ |
Revision as of 09:49, 1 November 2014
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माधवजू मोसम मंद न कोऊ। |
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