सुन मन मूढ -तुलसीदास: Difference between revisions
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सुन मन मूढ सिखावन मेरो। | सुन मन मूढ सिखावन मेरो। | ||
हरिपद विमुख लह्यो न काहू सुख,सठ समुझ सबेरो॥ | हरिपद विमुख लह्यो न काहू सुख,सठ समुझ सबेरो॥ | ||
बिछुरे ससि रबि मन नैननि तें,पावत | बिछुरे ससि रबि मन नैननि तें,पावत दु:ख बहुतेरो। | ||
भ्रमर स्यमित निसि दिवस गगन मँह,तहँ रिपु राहु बडेरो॥ | भ्रमर स्यमित निसि दिवस गगन मँह,तहँ रिपु राहु बडेरो॥ | ||
जद्यपि अति पुनीत सुरसरिता,तिहुँ पुर सुजस घनेरो। | जद्यपि अति पुनीत सुरसरिता,तिहुँ पुर सुजस घनेरो। |
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सुन मन मूढ सिखावन मेरो। |
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