भरोसो जाहि दूसरो सो करो -तुलसीदास: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "३" to "3") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "४" to "4") |
||
Line 38: | Line 38: | ||
सो हौं सुमिरत नाम-सुधारस, पेखत परुसि धरो॥3॥ | सो हौं सुमिरत नाम-सुधारस, पेखत परुसि धरो॥3॥ | ||
स्वारथ औ परमारथहूको, नहिं कुञ्जरो नरो। | स्वारथ औ परमारथहूको, नहिं कुञ्जरो नरो। | ||
सुनियत सेतु पयोधि पषनन्हि, करि कपि कटक | सुनियत सेतु पयोधि पषनन्हि, करि कपि कटक तरो॥4॥ | ||
प्रीति प्रतीति जहाँ जाकी तहॅं, ताको काज सरो। | प्रीति प्रतीति जहाँ जाकी तहॅं, ताको काज सरो। | ||
मेर तो माय-बाप दोउ आखर, हौं सिसु-अरनि अरो॥५॥ | मेर तो माय-बाप दोउ आखर, हौं सिसु-अरनि अरो॥५॥ |
Revision as of 10:44, 1 November 2014
| ||||||||||||||||||
|
भरोसो जाहि दूसरो सो करो। |
संबंधित लेख |