माधवजू मोसम मंद न कोऊ -तुलसीदास: Difference between revisions
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श्रीहरि चरनकमल-नौका तजि फिरि फिरि फेन गह्यो॥3॥ | श्रीहरि चरनकमल-नौका तजि फिरि फिरि फेन गह्यो॥3॥ | ||
अस्थि पुरातन छुधित स्वान अति ज्यों भरि मुख पकरै। | अस्थि पुरातन छुधित स्वान अति ज्यों भरि मुख पकरै। | ||
निज तालूगत रुधिर पान करि, मन संतोष | निज तालूगत रुधिर पान करि, मन संतोष धरै॥4॥ | ||
परम कठिन भव ब्याल ग्रसित हौं त्रसित भयो अति भारी। | परम कठिन भव ब्याल ग्रसित हौं त्रसित भयो अति भारी। | ||
चाहत अभय भेक सरनागत, खग-पति नाथ बिसारी॥५॥ | चाहत अभय भेक सरनागत, खग-पति नाथ बिसारी॥५॥ |
Revision as of 10:44, 1 November 2014
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माधवजू मोसम मंद न कोऊ। |
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