चंदबरदाई: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Adding category Category:साहित्यकार (को हटा दिया गया हैं।))
m (Text replace - "हिंदी" to "हिन्दी")
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Chandbardai.jpg|thumb|चंदबरदाई|250px]]
[[चित्र:Chandbardai.jpg|thumb|चंदबरदाई|250px]]
*चंदबरदाई [[भारत]] के अंतिम [[हिन्दू]] सम्राट [[पृथ्वीराज चौहान]] के मित्र, सखा तथा राजकवि, [[हिन्दी]] की आदि महाकवि थे।  
*चंदबरदाई [[भारत]] के अंतिम [[हिन्दू]] सम्राट [[पृथ्वीराज चौहान]] के मित्र, सखा तथा राजकवि, [[हिन्दी]] की आदि महाकवि थे।  
*चंदबरदाई (जन्म 1205 सम्वत् - मृत्यु- 1249 सम्वत्) को [[हिंदी]] का पहला कवि और उनकी रचना [[पृथ्वीराज रासो]] को हिंदी की पहली रचना होने का सम्मान प्राप्त है। उसका जन्म [[लाहौर]] में हुआ था, वह जाति का राव या भाट था।  
*चंदबरदाई (जन्म 1205 सम्वत् - मृत्यु- 1249 सम्वत्) को [[हिन्दी]] का पहला कवि और उनकी रचना [[पृथ्वीराज रासो]] को हिन्दी की पहली रचना होने का सम्मान प्राप्त है। उसका जन्म [[लाहौर]] में हुआ था, वह जाति का राव या भाट था।  
*चंदवरदाई का प्रसिद्ध ग्रंथ "पृथ्वीराजरासो" है। इसकी भाषा को भाषा-शास्त्रियों ने पिंगल कहा है, जो [[राजस्थान]] में [[ब्रजभाषा]] का पर्याय है। इसलिए चंदवरदाई को [[ब्रजभाषा]] हिन्दी का प्रथम महाकवि माना जाता है।  
*चंदवरदाई का प्रसिद्ध ग्रंथ "पृथ्वीराजरासो" है। इसकी भाषा को भाषा-शास्त्रियों ने पिंगल कहा है, जो [[राजस्थान]] में [[ब्रजभाषा]] का पर्याय है। इसलिए चंदवरदाई को [[ब्रजभाषा]] हिन्दी का प्रथम महाकवि माना जाता है।  
*'रासो' की रचना महाराज पृथ्वीराज के युद्ध-वर्णन के लिए हुई है। इसमें उनके वीरतापूर्ण युद्धों और प्रेम-प्रसंगों का कथन है। अत: इसमें वीर और श्रृंगार दो ही रस है।  
*'रासो' की रचना महाराज पृथ्वीराज के युद्ध-वर्णन के लिए हुई है। इसमें उनके वीरतापूर्ण युद्धों और प्रेम-प्रसंगों का कथन है। अत: इसमें वीर और श्रृंगार दो ही रस है।  

Revision as of 15:09, 10 May 2011

thumb|चंदबरदाई|250px

  • चंदबरदाई भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के मित्र, सखा तथा राजकवि, हिन्दी की आदि महाकवि थे।
  • चंदबरदाई (जन्म 1205 सम्वत् - मृत्यु- 1249 सम्वत्) को हिन्दी का पहला कवि और उनकी रचना पृथ्वीराज रासो को हिन्दी की पहली रचना होने का सम्मान प्राप्त है। उसका जन्म लाहौर में हुआ था, वह जाति का राव या भाट था।
  • चंदवरदाई का प्रसिद्ध ग्रंथ "पृथ्वीराजरासो" है। इसकी भाषा को भाषा-शास्त्रियों ने पिंगल कहा है, जो राजस्थान में ब्रजभाषा का पर्याय है। इसलिए चंदवरदाई को ब्रजभाषा हिन्दी का प्रथम महाकवि माना जाता है।
  • 'रासो' की रचना महाराज पृथ्वीराज के युद्ध-वर्णन के लिए हुई है। इसमें उनके वीरतापूर्ण युद्धों और प्रेम-प्रसंगों का कथन है। अत: इसमें वीर और श्रृंगार दो ही रस है।
  • चंदबरदाई ने इस ग्रंथ की रचना प्रत्यक्षदर्शी की भाँति की है अंत: इसका रचना काल सं. 1220 से 1250 तक होना चाहिए। विद्वान 'रासो' को 16वीं अथवा उसके बाद की किसी शती का अप्रामाणिक ग्रंथ मानते हैं।
  • अनन्द विक्रम संवत भारत में प्रचलित अनेक संवतों में से एक है। इसका प्रयोग पृथ्वीराज रासो के कवि चन्दबरदाई ने, जो मुसलमानों के आक्रमण (1192 ई.) के समय दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान का राज कवि था, किया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख