मछुए का गीत -सुमित्रानंदन पंत: Difference between revisions
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प्रेम की बंसी लगी न प्राण! | प्रेम की बंसी लगी न प्राण! | ||
नाव द्वार आवेगी बाहर, | |||
स्वर्ण जाल में उलझ मनोहर, | स्वर्ण जाल में उलझ मनोहर, | ||
बचा कौन जग में लुक छिप कर | बचा कौन जग में लुक छिप कर | ||
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घिर घिर होते मेघ निछावर, | घिर घिर होते मेघ निछावर, | ||
झर झर सर में मिलते निर्झर, | झर झर सर में मिलते निर्झर, | ||
लिए डोर वह | लिए डोर वह अंग जग की कर, | ||
हरता तन मन प्राण! | हरता तन मन प्राण! | ||
प्रेम की बंसी लगी न प्राण! | प्रेम की बंसी लगी न प्राण! |
Revision as of 11:41, 29 August 2011
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प्रेम की बंसी लगी न प्राण! |
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