गंजन: Difference between revisions

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Revision as of 09:47, 14 October 2011

  • रीति काल के कवि गंजन काशी के रहने वाले गुजराती ब्राह्मण थे।
  • इन्होंने संवत 1786 में 'कमरुद्दीन खाँ हुलास' नामक श्रृंगार रस का एक ग्रंथ बनाया जिसमें भाव भेद, रस भेद के साथ षट् ऋतु का विस्तृत वर्णन किया है।
  • इस ग्रंथ में इन्होंने अपना पूरा 'वंश परिचय' दिया है और अपने प्रपितामह 'मुकुटराय' के कवित्व की प्रशंसा की है।
  • कमरुद्दीन खाँ दिल्ली के बादशाह के वज़ीर थे और भाषा काव्य के अच्छे प्रेमी थे। इनकी प्रशंसा गंजन ने खूब जी खोलकर की है। उनके द्वारा कवि का बड़ा अच्छा सम्मान हुआ था।
  • यह ग्रंथ एक अमीर को खुश करने लिए लिखा गया है इससे ऋतु वर्णन के अंतर्गत उसमें अमीरी शौक़ और आराम के बहुत से सामान गिनाए गए हैं। इस प्रकार के वर्णन में ये ग्वाल कवि से मिलते जुलते हैं।
  • इनकी इस रचना में भावुकता और प्रकृति रंजन अल्प है।
  • इस रचना में भाषा भी शिष्ट और प्रांजल नहीं है -

मीना के महल जरबाफ दर परदा हैं,
हलबी फनूसन में रोसनी चिराग की
गुलगुली गिलम गरक आब पग होत,
जहाँ बिछी मसनद लालन के दाम की
केती महताबमुखी खचित जवाहिरन,
गंजन सुकवि कहै बौरी अनुराग की।
एतमाद्दौला कमरुद्दीन खाँ की मजलिस,
सिसिर में ग्रीषम बनाई बड़ भाग की


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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