वासुकी: Difference between revisions
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Revision as of 08:18, 13 January 2013
वासुकी पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रसिद्ध नागराज थे। इनका जन्म कश्यप के औरस और कद्रु के गर्भ से हुआ माना गया है। वासुकी नागों के दूसरे राजा थे, जिनका इलाका कैलाश पर्वत के आस-पास का क्षेत्र था। पुराणों अनुसार वासुकी नाग अत्यंत विशाल और लंबे शरीर वाले माने जाते हैं। समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों ने मंदराचल पर्वत को मथनी तथा वासुकी को नेती (रस्सी) बनाया था।
- वासुकी को देवताओं ने 'नागधन्वातीर्थ' में नागराज के पद पर बैठाया था।
- नागों के दूसरे राजा वासुकी की पत्नी का नाम शतशीर्षा था।
- भगवान शिव का परम भक्त होने के कारण वासुकी का उनके शरीर पर निवास था।
- जब वासुकी को ज्ञात हुआ कि नागकुल का नाश होने वाला है और उसकी रक्षा केवल उसकी भगिनी[1] के पुत्र द्वारा ही होगी, तब इसने अपनी बहन का विवाह जरत्कारु से कर दिया।
- जरत्कारु के पुत्र आस्तीक ने जनमेजय के नागयज्ञ के समय सर्पों की रक्षा की, अन्यथा नागवंश का समूल नष्ट हो जाता।
- समुद्र मंथन के समय वासुकी ने मंदराचल पर्वत का बाँधने के लिए रस्सी का काम किया था।
- त्रिपुरदाह के समय वह शिव के धनुष की डोर बना था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बहन
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