भरोसो जाहि दूसरो सो करो -तुलसीदास: Difference between revisions
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मेर तो माय-बाप दोउ आखर, हौं सिसु-अरनि अरो॥5॥ | मेर तो माय-बाप दोउ आखर, हौं सिसु-अरनि अरो॥5॥ | ||
संकर साखि जो राखि कहउँ कछु, तौ जरि जीह गरो। | संकर साखि जो राखि कहउँ कछु, तौ जरि जीह गरो। | ||
अपनो भलो रामनामहिं ते, तुलसिहि समुझि | अपनो भलो रामनामहिं ते, तुलसिहि समुझि परो॥6॥ | ||
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Latest revision as of 11:29, 1 November 2014
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भरोसो जाहि दूसरो सो करो। |
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