राम-पद-पदुम पराग परी -तुलसीदास: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "४" to "4") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "ह्रदय" to "हृदय") |
||
Line 37: | Line 37: | ||
निगम अगम मूरति महेस मति जुबति बराय बरी। | निगम अगम मूरति महेस मति जुबति बराय बरी। | ||
सोइ मूरति भइ जानि नयन-पथ इकटकतें न टरी॥3॥ | सोइ मूरति भइ जानि नयन-पथ इकटकतें न टरी॥3॥ | ||
बरनति | बरनति हृदय सरूप सील गुन प्रेम-प्रमोद भरी। | ||
तुलसीदास अस केहि आरतकी आरति प्रभु न हरी॥4॥ | तुलसीदास अस केहि आरतकी आरति प्रभु न हरी॥4॥ | ||
Latest revision as of 09:57, 24 February 2017
| ||||||||||||||||||
|
राम-पद-पदुम पराग परी। |
संबंधित लेख |