आत्मा का चिर-धन -सुमित्रानंदन पंत

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:41, 15 December 2011 by कात्या सिंह (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
आत्मा का चिर-धन -सुमित्रानंदन पंत
कवि सुमित्रानंदन पंत
जन्म 20 मई 1900
जन्म स्थान कौसानी, उत्तराखण्ड, भारत
मृत्यु 28 दिसंबर, 1977
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुमित्रानंदन पंत की रचनाएँ

क्या मेरी आत्मा का चिर-धन ?
मैं रहता नित उन्मन, उन्मन!

    प्रिय मुझे विश्व यह सचराचर,
    त्रिण, तरु, पशु, पक्षी, नर, सुरवर,
    सुन्दर अनादि शुभ सृष्टि अमर;

           
निज सुख से ही चिर चंचल-मन,
मैं हूँ प्रतिपल उन्मन, उन्मन।

    मैं प्रेमी उच्चादर्शों का,
    संस्कृति के स्वर्गिक-स्पर्शो का,
    जीवन के हर्ष-विमर्शों का,

   
लगता अपूर्ण मानव जीवन,
मैं इच्छा से उन्मन, उन्मन!

    जग-जीवन में उल्लास मुझे,
    नव-आशा, नव अभिलाष मुझे,
    ईश्वर पर चिर विश्वास मुझे;

   
चाहिए विश्व को नवजीवन,
मैं आकुल रे उन्मन, उन्मन।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः