कौन जतन बिनती करिये -तुलसीदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:29, 3 November 2011 by फ़ौज़िया ख़ान (talk | contribs) ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Tulsidas.jpg |च...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
कौन जतन बिनती करिये -तुलसीदास
कवि तुलसीदास
जन्म 1532 सन
जन्म स्थान राजापुर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1623 सन
मुख्य रचनाएँ रामचरितमानस, दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
तुलसीदास की रचनाएँ

कौन जतन बिनती करिये।
निज आचरन बिचारि हारि हिय, मानि-जानि डरिये॥1॥
जेहि साधन हरि द्रवहु जानि जन, सो हठि परिहरिये।
जात बिपति जाल निसिदिन दुख, तेहि पथ अनुसरिये॥2॥
जानत हुँ मन बचन करम परहित कीन्हें तरिये।
सो बिपरित, देखि परसुख बिनु कारन ही जरिये॥3॥
स्त्रुति पुरान सबको मत यह सतसंग सुदृढ़ धरिये।
निज अभिमान मोह ईर्षा बस, तिनहि न आदरिये॥4॥
संतत सोइ प्रिय मोहि सदा जाते भवनिधि परिये।
कहौ अब नाथ! कौन बलतें संसार-सोम हरिये॥5॥
जब-कब निज करुना-सुभावतें द्रव्हु तौ निस्तरिये।
तुलसीदास बिस्वास आन नहिं, कत पचि पचि मरिये॥6॥

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः