आज रहने दो यह गृह-काज -सुमित्रानंदन पंत

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:34, 15 December 2011 by कात्या सिंह (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
आज रहने दो यह गृह-काज -सुमित्रानंदन पंत
कवि सुमित्रानंदन पंत
जन्म 20 मई 1900
जन्म स्थान कौसानी, उत्तराखण्ड, भारत
मृत्यु 28 दिसंबर, 1977
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुमित्रानंदन पंत की रचनाएँ

आज रहने दो यह गृह-काज,
प्राण! रहने दो यह गृह-काज!

आज जाने कैसी वातास,
छोड़ती सौरभ-श्लथ उच्छ्वास,
प्रिये लालस-सालस वातास,
जगा रोओं में सौ अभिलाष।

आज उर के स्तर-स्तर में, प्राण!
सजग सौ-सौ स्मृतियाँ सुकुमार,
दृगों में मधुर स्वप्न-संसार,
मर्म में मदिर-स्पृहा का भार!

शिथिल, स्वप्निल पंखड़ियाँ खोल,
आज अपलक कलिकाएँ बाल,
गूँजता भूला भौंरा डोल,
सुमुखि! उर के सुख से वाचाल!

आज चंचल-चंचल मन-प्राण,
आज रे शिथिल-शिथिल तन भार;
आज दो प्राणों का दिन-मान,
आज संसार नहीं संसार!

आज क्या प्रिये, सुहाती लाज?
आज रहने दो सब गृह-काज!

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः