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शिवकुमार 'बिलगरामी' की रचनाओं में अनूठे बिम्ब और उपमाएं देखने को मिलती हैं। इनकी छंद पर गहरी पकड़ है जिसके कारण इनके गीतों और ग़ज़लों में ग़ज़ब की रवानी देखने को मिलती है।
आपकी आवाज़ हूँ मैं
आपकी आवाज़ हूँ मैं आज भी और कल रहूँगा
जिस व्यथा ने शक्ति छीनी
आप जिसको सह न पाये
जिस व्यथा ने शब्द छीने
आप जिसको कह न पाये
आपकी उस हर व्यथा को गीत गाकर मैं कहूँगा
जिस तड़प ने कर दिए हैं
आपके मृदु होंठ नीले
जिस तड़प ने भर दिए हैं
आँख में आँसू हठीले
उस तड़प के वेग को अब, मैं तड़प कर खुद सहूँगा
जिस हताशा और घुटन में
आपका जीवन पला है
जिस निराशा और तपन में
आपका तन मन जला है
उस निराशा और तपन में, मैं नदी बनकर बहूँगा