गोपीभाव -वंदना गुप्ता: Difference between revisions

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जब से गए हो परदेस मोहन
जब से गए हो परदेस मोहन
अपना पता भी भूल गया  
अपना पता भी भूल गया  
तभी तो कहता है ह्रदय हमारा
तभी तो कहता है हृदय हमारा
न ख़ुशी न गम
न ख़ुशी न गम
तटस्थ सा हो गया मन.......... मोहन !!!
तटस्थ सा हो गया मन.......... मोहन !!!

Latest revision as of 09:52, 24 February 2017

गोपीभाव -वंदना गुप्ता
कवि वंदना गुप्ता
मुख्य रचनाएँ 'बदलती सोच के नए अर्थ', 'टूटते सितारों की उड़ान', 'सरस्वती सुमन', 'हृदय तारों का स्पंदन', 'कृष्ण से संवाद' आदि।
विधाएँ कवितायें, आलेख, समीक्षा और कहानियाँ
अन्य जानकारी वंदना जी के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे- कादम्बिनी, बिंदिया, पाखी, हिंदी चेतना, शब्दांकन, गर्भनाल, उदंती, अट्टहास, आधुनिक साहित्य, नव्या, सिम्पली जयपुर आदि के अलावा विभिन्न ई-पत्रिकाओं में रचनाएँ, कहानियां, आलेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वंदना गुप्ता की रचनाएँ


न ख़ुशी न गम
तटस्थ सा हो गया मन
 
न मिलने की चाह रही
न बिछड़ने की परवाह रही
उमंगों के घोड़े रुक गए
जाने कहाँ तुम छुप गए
 
जब से किया किनारा है
मेरा न कोई दूजा सहारा है
अब बिरहा की मारी जाएँ कहाँ
तुम्हारी वो अलौकिक छवि पायें कहाँ
यूं सोच सोच बेजार हुईं
हम तो खुद को तुम पर हार गयीं
 
न वो सांझ सकारे रहे
न वो मधुबन के द्वारे रहे
न वो रास रंग की बतियाँ रहीं
न वो तुम संग बीतीं रतियाँ रहीं
न वो हास - विलास रहा
न वो पहला सा उल्लास रहा
जब से गए हो परदेस मोहन
अपना पता भी भूल गया
तभी तो कहता है हृदय हमारा
न ख़ुशी न गम
तटस्थ सा हो गया मन.......... मोहन !!!
 
मेरा हर ख़ुशी हर गम
सिर्फ मोहन से रति

यही है मेरे प्रेम की परिणति


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