बीर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ")
 
(2 intermediate revisions by the same user not shown)
Line 4: Line 4:
*[[वीर रस]] का कवित्त इस प्रकार है -
*[[वीर रस]] का कवित्त इस प्रकार है -
<blockquote><poem>अरुन बदन और फरकै बिसाल बाहु,
<blockquote><poem>अरुन बदन और फरकै बिसाल बाहु,
कौन को हियौ है करै सामने जो रुख को।
कौन को हियौ है करै सामने जो रुख़ को।
प्रबल प्रचंड निसिचर फिरैं धाए,
प्रबल प्रचंड निसिचर फिरैं धाए,
धूरि चाहत मिलाए दसकंधा अंधा मुख को
धूरि चाहत मिलाए दसकंधा अंधा मुख को
चमकै समरभूमि बरछी, सहस फन,
चमकै समरभूमि बरछी, सहस फन,
कहत पुकारे लंक अंक दीह दुख को।
कहत पुकारे लंक अंक दीह दु:ख को।
बलकि - बलकि बोलैं बीर रघुबीर धीर,
बलकि - बलकि बोलैं बीर रघुबीर धीर,
महि पर मीड़ि मारौं आज दसमुख को</poem></blockquote>
महि पर मीड़ि मारौं आज दसमुख को</poem></blockquote>
Line 19: Line 19:
==सम्बंधित लेख==
==सम्बंधित लेख==
{{भारत के कवि}}
{{भारत के कवि}}
[[Category:रीति काल]]
[[Category:रीति काल]][[Category:रीतिकालीन कवि]]
[[Category:कवि]][[Category:साहित्य_कोश]]
[[Category:कवि]][[Category:साहित्य_कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 14:01, 2 June 2017

  • रीति काल के कवि बीर दिल्ली के रहने वाले 'श्रीवास्तव कायस्थ' थे।
  • इन्होंने 'कृष्णचंद्रिका' नामक रस और नायिका भेद का एक ग्रंथ संवत 1779 में लिखा।
  • इनकी कविता साधारण है।
  • वीर रस का कवित्त इस प्रकार है -

अरुन बदन और फरकै बिसाल बाहु,
कौन को हियौ है करै सामने जो रुख़ को।
प्रबल प्रचंड निसिचर फिरैं धाए,
धूरि चाहत मिलाए दसकंधा अंधा मुख को
चमकै समरभूमि बरछी, सहस फन,
कहत पुकारे लंक अंक दीह दु:ख को।
बलकि - बलकि बोलैं बीर रघुबीर धीर,
महि पर मीड़ि मारौं आज दसमुख को


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख