प्रांगण:मुखपृष्ठ/पर्यटन: Difference between revisions

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| class="headbg12"  style="border:1px solid #e8cbac; padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px;" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#f8e4cf; border:thin solid #e8cbac;">'''चयनित लेख'''</div>  
| class="headbg12"  style="border:1px solid #e8cbac; padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px;" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#f8e4cf; border:thin solid #e8cbac;">'''विशेष आलेख'''</div>  
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[नालन्दा विश्‍वविद्यालय]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[महेश्वर]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Nalanda-University-Bihar.jpg|right|border|120px|नालन्दा विश्‍वविद्यालय|link=नालन्दा विश्‍वविद्यालय]] </div>
<div id="rollnone">[[चित्र:Maheshwar-Fort-and-ahilya-ghat-2.jpg|right|100px|अहिल्या घाट, महेश्वर|link=महेश्वर|border]] </div>
* 'नालन्दा विश्‍वविद्यालय' [[बिहार]] की राजधानी [[पटना]] से 90 किलोमीटर दूर और [[बिहार शरीफ़]] से क़रीब 12 किलोमीटर दक्षिण में, विश्व प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय नालंदा के खण्डहर स्थित हैं।
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* गुप्तकालीन [[कुमारगुप्त प्रथम महेन्द्रादित्य|सम्राट कुमारगुप्त प्रथम]] ने 415-454 ईसा पूर्व नालन्दा विश्‍वविद्यालय की स्थापना की थी।
        '''[[महेश्वर]]''' [[मध्य प्रदेश]] में स्थित एक ऐतिहासिक नगर तथा प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह [[नर्मदा नदी]] के किनारे पर बसा है। प्राचीन समय में यह [[होल्कर वंश]] की राजधानी था। महेश्वर को '[[माहिष्मती]]' नाम से भी जाना जाता है। महेश्वर का [[हिन्दू]] धार्मिक ग्रंथ '[[रामायण]]' तथा '[[महाभारत]]' में भी उल्लेख मिलता है। [[अहिल्याबाई होल्कर|देवी अहिल्याबाई होल्कर]] के कालखंड में बनाये गए यहाँ के घाट बहुत सुन्दर हैं और इनका प्रतिबिम्ब नर्मदा नदी के [[जल]] में बहुत ख़ूबसूरत दिखाई देता है।  यह शहर अपनी '[[महेश्वरी साड़ी|महेश्वरी साड़ियों]]' के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध रहा है। [[महेश्वर|... और पढ़ें]]
* नालंदा [[संस्कृत]] शब्‍द 'नालम् + दा' से बना है। संस्‍कृत में 'नालम' का अर्थ 'कमल' होता है। [[कमल]] ज्ञान का प्रतीक है। नालम् + दा यानी कमल देने वाली, ज्ञान देने वाली।
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* प्रसिद्ध चीनी यात्री [[हुएन-सांग|ह्वेनसांग]] ने 7वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था।
* यहाँ के विद्यार्थियों और विद्वानों की मांग [[एशिया]] के सभी देशों में थी और उनका सर्वत्रादर होता था। '''[[नालन्दा विश्‍वविद्यालय|.... और पढ़ें]]'''
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<div style="padding-left:8px; background:#ede0e0; border:thin solid #cda7a7;">'''चयनित लेख'''</div>  
<div style="padding-left:8px; background:#ede0e0; border:thin solid #cda7a7;">'''चयनित लेख'''</div>  
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[पुष्कर]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[लखनऊ]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Pushkar-1.jpg|border|right|120px|पुष्कर, अजमेर|link=पुष्कर]]</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|right|100px|छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|link=लखनऊ|border]]</div>
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    '''पुष्कर''' ब्रह्माजी के एकलौते मंदिर और ऊँटों के व्यापार मेले के लिए प्रसिद्ध है। पुष्कर का शाब्दिक अर्थ है तालाब। [[अजमेर]] से मात्र 11 किलोमीटर दूर तीर्थराज पुष्कर विश्वविख्यात है और [[पुराण|पुराणों]] में वर्णित तीर्थों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। [[राजस्थान]] के शहर अजमेर में कई पर्यटन स्थल है जिनमें से ये एक है। अनेक पौराणिक कथाएं इसका प्रमाण हैं। यहाँ से प्रागैतिहासिक कालीन पाषाण निर्मित अस्त्र-शस्त्र मिले हैं, जो उस युग में यहाँ पर मानव के क्रिया-कलापों की ओर संकेत करते हैं '''[[पुष्कर|.... और पढ़ें]]'''</poem>
        '''[[लखनऊ]]''' को ऐतिहासिक रूप से [[अवध]] क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना [[अवध के नवाब]] '[[आसफ़उद्दौला]]' ने 1775 ई. में की थी। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम 'लक्ष्मणपुर' था। [[राम]] के छोटे भाई [[लक्ष्मण]] ने इसे बसाया था। यहाँ के शिया नवाबों ने शिष्टाचार, ख़ूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को सदैव संरक्षण दिया। लखनऊ 'नवाबों का शहर' भी कहलाता है।  लखनऊ में [[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]], [[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]] तथा [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]] [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] के अद्भुत उदाहरण हैं।  [[लखनऊ|... और पढ़ें]]
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| class="headbg12"  style="border:1px solid #e8cbac; padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px;" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#f8e4cf; border:thin solid #e8cbac;">'''चयनित लेख'''</div>  
| class="headbg12"  style="border:1px solid #e8cbac; padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px;" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#f8e4cf; border:thin solid #e8cbac;">'''चयनित लेख'''</div>  
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[रणथम्भौर क़िला]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[कन्याकुमारी]]'''</div>
<div id="rollnone">[[चित्र:Ranthambore-Fort.jpg|right|120px|रणथम्भौर क़िला|link=रणथम्भौर क़िला|border]]</div>
<div id="rollnone">[[चित्र:Sunset-Kanyakumari.jpg|right|100px|कन्याकुमारी मंदिर|link=कन्याकुमारी|border]]</div>
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         '''[[रणथम्भौर क़िला]]''' [[राजस्थान]] में ऐतिहासिक घटनाओं एवं बहादुरी का प्रतीक है। रणथम्भौर का दुर्ग सीधी ऊँची खड़ी पहाड़ी पर स्थित है, जो आसपास के मैदानों के ऊपर 700 फुट की ऊंचाई पर है। यह विंध्य पठार और [[अरावली पर्वतमाला|अरावली पहाड़ियों]] के बीच स्थित है, जो 7 कि.मी. भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है। इस क़िले के निर्माता का नाम अनिश्चित है, किन्तु [[इतिहास]] में सर्वप्रथम इस पर [[चौहान वंश|चौहानों]] के अधिकार का उल्लेख मिलता है। जनश्रुति है कि प्रारम्भ में इस दुर्ग के स्थान के निकट 'पद्मला' नामक एक सरोवर था। यह इसी नाम से आज भी क़िले के अन्दर ही स्थित है। इसके तट पर पद्मऋषि का आश्रम था। इन्हीं की प्रेरणा से जयंत और रणधीर नामक दो राजकुमारों ने जो कि अचानक ही शिकार खेलते हुए वहाँ पहुँच गए थे, इस क़िले को बनवाया और इसका नाम 'रणस्तम्भर' रखा। क़िले की स्थापना पर यहाँ [[गणेश]] जी की प्रतिष्ठा की गई थी, जिसका आह्वान राज्य में [[विवाह|विवाहों]] के अवसर पर किया जाता है। [[रणथम्भौर क़िला|... और पढ़ें]]
         '''[[कन्याकुमारी]]''' भारत भूमि के सबसे दक्षिण बिंदु पर स्थित केवल एक नगर ही नहीं बल्कि देशी विदेशी सैलानियों का एक बड़ा पर्यटन स्थल भी है। [[भारत]] के मस्तक पर मुकुट के समान सजे [[हिमालय]] के धवल शिखरों को निकट से देखने के बाद हर सैलानी के मन में भारतभूमि के अंतिम छोर को देखने की इच्छा भी उभरने लगती है। यह स्थान एक खाड़ी, एक [[सागर]] और एक [[महासागर]] का मिलन बिंदु है। अपार जलराशि से घिरे इस स्थल के पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]], पश्चिम में [[अरब सागर]] एवं दक्षिण में [[हिंद महासागर]] है। यहाँ आकर हर व्यक्ति को प्रकृति के अनंत स्वरूप के दर्शन होते हैं। सागर-त्रय के [[संगम]] की इस दिव्यभूमि पर माँ भगवती 'देवी कुमारी' के रूप में विद्यमान हैं। इस पवित्र स्थान को विदेशी सैलानियों ने 'एलेक्जेंड्रिया ऑफ़ ईस्ट' की उपमा से नवाज़ा है। [[कन्याकुमारी|... और पढ़ें]]
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[[चित्र:View-Of-Andaman.jpg|220px|[[अंडमान द्वीपसमूह|अंडमान का एक दृश्य]]|center]]
[[चित्र:Gwalior-Fort-Gwalior.jpg|220px|[[ग्वालियर क़िला]]|center]]
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[[Category:पर्यटन कोश]]
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Latest revision as of 14:58, 12 May 2021

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  • यहाँ हम भारत की पर्यटन संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • पर्यटन के अनेक प्रकार हैं जैसे- सांस्कृतिक, पर्यावरण, स्वास्थ्य, धार्मिक, शैक्षिक, पुरातत्त्व, विरासत-परम्परा, रोमांचक और वन्य जीवन आदि।
  • प्राचीन काल से ही भारत एक अत्यन्त ही विविधता सम्पन्न देश रहा है और यह विशेषता आज भी समय की घड़ी पर अंकित है।
  • वर्ष 2007 में, 90.3 करोड़ से अधिक अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन के साथ, 2006 की तुलना में 6.6% की वृद्धि दर्ज की गई।
  1. REDIRECTसाँचा:विशेष2
  • भारतकोश पर लेखों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती रहती है जो आप देख रहे वह "प्रारम्भ मात्र" ही है...
विशेष आलेख

        महेश्वर मध्य प्रदेश में स्थित एक ऐतिहासिक नगर तथा प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह नर्मदा नदी के किनारे पर बसा है। प्राचीन समय में यह होल्कर वंश की राजधानी था। महेश्वर को 'माहिष्मती' नाम से भी जाना जाता है। महेश्वर का हिन्दू धार्मिक ग्रंथ 'रामायण' तथा 'महाभारत' में भी उल्लेख मिलता है। देवी अहिल्याबाई होल्कर के कालखंड में बनाये गए यहाँ के घाट बहुत सुन्दर हैं और इनका प्रतिबिम्ब नर्मदा नदी के जल में बहुत ख़ूबसूरत दिखाई देता है। यह शहर अपनी 'महेश्वरी साड़ियों' के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध रहा है। ... और पढ़ें

चयनित लेख

        लखनऊ को ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना अवध के नवाब 'आसफ़उद्दौला' ने 1775 ई. में की थी। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम 'लक्ष्मणपुर' था। राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इसे बसाया था। यहाँ के शिया नवाबों ने शिष्टाचार, ख़ूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को सदैव संरक्षण दिया। लखनऊ 'नवाबों का शहर' भी कहलाता है। लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा तथा रूमी दरवाज़ा मुग़ल वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण हैं। ... और पढ़ें

चयनित लेख

        कन्याकुमारी भारत भूमि के सबसे दक्षिण बिंदु पर स्थित केवल एक नगर ही नहीं बल्कि देशी विदेशी सैलानियों का एक बड़ा पर्यटन स्थल भी है। भारत के मस्तक पर मुकुट के समान सजे हिमालय के धवल शिखरों को निकट से देखने के बाद हर सैलानी के मन में भारतभूमि के अंतिम छोर को देखने की इच्छा भी उभरने लगती है। यह स्थान एक खाड़ी, एक सागर और एक महासागर का मिलन बिंदु है। अपार जलराशि से घिरे इस स्थल के पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर एवं दक्षिण में हिंद महासागर है। यहाँ आकर हर व्यक्ति को प्रकृति के अनंत स्वरूप के दर्शन होते हैं। सागर-त्रय के संगम की इस दिव्यभूमि पर माँ भगवती 'देवी कुमारी' के रूप में विद्यमान हैं। इस पवित्र स्थान को विदेशी सैलानियों ने 'एलेक्जेंड्रिया ऑफ़ ईस्ट' की उपमा से नवाज़ा है। ... और पढ़ें

महत्त्वपूर्ण लेख

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पर्यटन श्रेणी वृक्ष
चयनित चित्र

[[चित्र:Gwalior-Fort-Gwalior.jpg|220px|ग्वालियर क़िला|center]]



  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख