ऋषिनाथ: Difference between revisions

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*[[रीति काल]] के कवि ऋषिनाथ असनी के रहने वाले प्रसिद्ध [[ठाकुर असनी दूसरे|कवि ठाकुर]] के [[पिता]] और सेवक के प्रपितामह थे।  
'''ऋषिनाथ''' [[रीति काल]] के कवियों में गिने जाते थे। ये [[असनी]] के रहने वाले प्रसिद्ध [[ठाकुर असनी दूसरे|कवि ठाकुर]] के [[पिता]] और सेवक के प्रपितामह थे। ऋषिनाथ मझौली राजा के दरबारी [[कवि]] तथा बाद में [[काशी]] नरेश के भाई देवकीनन्दन के आश्रित कवि हुए थे। इन्होनें 483 [[छंद|छंदों]] में ‘अलंकार मणि मंजरी’ की रचना की थी।
*काशिराज के दीवान 'सदानंद' और 'रघुबर' कायस्थ के आश्रय में इन्होंने 'अलंकारमणि मंजरी' नाम की एक अच्छी पुस्तक बनाई जिसमें दोहों की संख्या अधिक है।  
 
*'अलंकारमणि मंजरी' में दोहों के साथ साथ बीच बीच में घनाक्षरी और छप्पय भी हैं।  
*काशिराज के दीवान 'सदानंद' और 'रघुबर कायस्थ' के आश्रय में इन्होंने 'अलंकारमणि मंजरी' नाम की एक अच्छी पुस्तक बनाई, जिसमें [[दोहा|दोहों]] की संख्या अधिक है।  
*इसका रचना काल संवत 1831 है, जिससे यह इनकी वृध्दावस्था का ग्रंथ जान पड़ता है।  
*'अलंकारमणि मंजरी' में दोहों के साथ साथ बीच बीच में घनाक्षरी और [[छप्पय]] भी हैं। इसका रचना काल [[संवत]] 1831 है, जिससे यह इनकी वृद्धावस्था का [[ग्रंथ]] जान पड़ता है।  
*इनका कविता काल संवत 1790 से 1831 तक माना जा सकता है।  
*ऋषिनाथ का कविता काल संवत 1790 से 1831 तक माना जा सकता है।  
*ऋषिनाथ कविता अच्छी करते थे।
*[[कविता]] करने के लिए ऋषिनाथ को प्रसिद्धि प्राप्त थी।
;उदाहरण -
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<blockquote><poem>छाया छत्र ह्वै करि करति महिपालन को,
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हीतल को सीतल करत घनसार ह्वै,
हीतल को सीतल करत घनसार ह्वै,
महीतल को पावन करत गंगधार ह्वै</poem></blockquote>
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Revision as of 09:07, 10 January 2014

ऋषिनाथ रीति काल के कवियों में गिने जाते थे। ये असनी के रहने वाले प्रसिद्ध कवि ठाकुर के पिता और सेवक के प्रपितामह थे। ऋषिनाथ मझौली राजा के दरबारी कवि तथा बाद में काशी नरेश के भाई देवकीनन्दन के आश्रित कवि हुए थे। इन्होनें 483 छंदों में ‘अलंकार मणि मंजरी’ की रचना की थी।

  • काशिराज के दीवान 'सदानंद' और 'रघुबर कायस्थ' के आश्रय में इन्होंने 'अलंकारमणि मंजरी' नाम की एक अच्छी पुस्तक बनाई, जिसमें दोहों की संख्या अधिक है।
  • 'अलंकारमणि मंजरी' में दोहों के साथ साथ बीच बीच में घनाक्षरी और छप्पय भी हैं। इसका रचना काल संवत 1831 है, जिससे यह इनकी वृद्धावस्था का ग्रंथ जान पड़ता है।
  • ऋषिनाथ का कविता काल संवत 1790 से 1831 तक माना जा सकता है।
  • कविता करने के लिए ऋषिनाथ को प्रसिद्धि प्राप्त थी।
उदाहरण -

छाया छत्र ह्वै करि करति महिपालन को,
पालन को पूरो फैलो रजत अपार ह्वै।
मुकुत उदार ह्वै लगत सुख श्रौनन में,
जगत जगत हंस, हास, हीरहार ह्वै
ऋषिनाथ सदानंद सुजस बिलंद,
तमवृंद के हरैया चंद्रचंद्रिका सुढार ह्वै,
हीतल को सीतल करत घनसार ह्वै,
महीतल को पावन करत गंगधार ह्वै


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख