जग-जीवन में जो चिर महान -सुमित्रानंदन पंत

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जग-जीवन में जो चिर महान -सुमित्रानंदन पंत
कवि सुमित्रानंदन पंत
जन्म 20 मई 1900
जन्म स्थान कौसानी, उत्तराखण्ड, भारत
मृत्यु 28 दिसंबर, 1977
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुमित्रानंदन पंत की रचनाएँ

        जग-जीवन में जो चिर महान,
        सौंदर्य - पूर्ण औ सत्‍य - प्राण,
        मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ!
        जिसमें मानव - हित हो समान!

जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटें भय, संशय, अंध - भक्ति;
मैं वह प्रकाश बन सकूँ, नाथ!
मिज जावें जिसमें अखिल व्‍यक्ति!

        दिशि-दिशि में प्रेम - प्रभा प्रसार,
        हर भेद - भाव का अंधकार,
        मैं खोल सकूँ चिर मुँदे, नाथ!
        मानव के उर के स्‍वर्ग-द्वार!

पाकर, प्रभु! तुमसे अमर दान
करने मानव का परित्राण,
ला सकूँ विश्‍व में एक बार
फिर से नव जीवन का विहान!





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