चलो महफ़िल सजा लूँ -वंदना गुप्ता

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चलो महफ़िल सजा लूँ -वंदना गुप्ता
कवि वंदना गुप्ता
मुख्य रचनाएँ 'बदलती सोच के नए अर्थ', 'टूटते सितारों की उड़ान', 'सरस्वती सुमन', 'हृदय तारों का स्पंदन', 'कृष्ण से संवाद' आदि।
विधाएँ कवितायें, आलेख, समीक्षा और कहानियाँ
अन्य जानकारी वंदना जी के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे- कादम्बिनी, बिंदिया, पाखी, हिंदी चेतना, शब्दांकन, गर्भनाल, उदंती, अट्टहास, आधुनिक साहित्य, नव्या, सिम्पली जयपुर आदि के अलावा विभिन्न ई-पत्रिकाओं में रचनाएँ, कहानियां, आलेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वंदना गुप्ता की रचनाएँ


शाम होने को आई 
चलो महफ़िल सजा लूँ
पलकों की ओट कर पर्दा लगा लूँ
क्यूंकि 
बड़ा शर्मीला मेरा यार है 
बड़ा रंगीला मेरा प्यार है
 
अब तो चले आओ 
सारा आलम बना दिया 
 
रतजगे के लिए दिल पर साँसों का पहरा बिठा दिया 
कि
आ जाओ अब तो आखों का खुमार बन कर 
ओ रंगीले छबीले मेरे श्याम बांसुरी की तान बनकर 
 
कि
अँखियाँ तरस रही हैं जलवा जरा दिखा जा 
निर्मोही श्याम बस इक बार गले लगा जा 
 
कि
प्रीत बावरिया पुकारे है 
रस्ता तेरा निहारे है 
ये प्रेम के सूने पंथों पर 
मेरी आस को मोहर लगा जा 
श्याम बस मुझे अपना बना जा 
बस इक बार 
मेरे मन वृन्दावन में रास रचा जा 
श्याम मेरी प्रीत अटरिया चढ़ा जा 
मुझे प्रेम का अंतिम पाठ पढ़ा जा 
 
कि
तुझ बिन अब रहा न जाए श्याम ये बिरहा सहा न जाए


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