है और नहीं के मध्य -वंदना गुप्ता

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है और नहीं के मध्य -वंदना गुप्ता
कवि वंदना गुप्ता
मुख्य रचनाएँ 'बदलती सोच के नए अर्थ', 'टूटते सितारों की उड़ान', 'सरस्वती सुमन', 'हृदय तारों का स्पंदन', 'कृष्ण से संवाद' आदि।
विधाएँ कवितायें, आलेख, समीक्षा और कहानियाँ
अन्य जानकारी वंदना जी के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे- कादम्बिनी, बिंदिया, पाखी, हिंदी चेतना, शब्दांकन, गर्भनाल, उदंती, अट्टहास, आधुनिक साहित्य, नव्या, सिम्पली जयपुर आदि के अलावा विभिन्न ई-पत्रिकाओं में रचनाएँ, कहानियां, आलेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वंदना गुप्ता की रचनाएँ


एक तनी हुई रस्सी पर चलते जाना नियति है जहाँ 
रस्साकशी के खेल में 
न जीत है न हार 
एक नित्य प्रलय सरीखी 
सोख लेती है उपस्थिति का मूल तत्व भी 
 
अपादान उपादान सा कोई कारक नहीं 
और उपस्थिति भी आभासित नहीं 
जहाँ ' है ' और ' नहीं ' के मध्य 
खिंची है एक अदृश्य रेखा 
न उस पार जीवन 
न इस पार मृत्यु 
फिर भी संधि विच्छेद का होना 
मानो विद्युत् का मेघों में विद्यमान होना 
 
एक मध्याह्न कहूँ क्या फिर 
या है ये भी ढाई अक्षर का तिलिस्म भर ?
 
जीवन या मृत्यु या दोनों ही 
या फिर दोनों ही नहीं 
क्या है नींद ?


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