मंगलेश डबराल: Difference between revisions

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==परिचय==
==परिचय==
मंगलेश डबराल का जन्म सन 16 मई, 1948 को टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड के कापफलपानी गाँव में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा [[देहरादून]] में हुई। [[दिल्ली]] आकर हिन्दी पैट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के बाद वे [[भोपाल]] में मध्य प्रदेश कला परिषद्, भारत भवन से प्रकाशित साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक रहे। [[इलाहाबाद]] और [[लखनऊ]] से प्रकाशित 'अमृत प्रभात' में भी कुछ दिन नौकरी की। सन् [[1983]] में 'जनसत्ता' में साहित्य संपादक का पद सँभाला। कुछ समय 'सहारा समय' में संपादन कार्य करने के बाद वह नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े रहे।<ref name="jj">{{cite web |url= http://www.newswriters.in/manglesh-dabral/|title=मंगलेश डबराल|accessmonthday=12 अप्रॅल|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=newswriters.in |language=हिंदी}}</ref>
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#कुमार विकल स्मृति सम्मान
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#हिंदी अकादमी का साहित्यकार सम्मान
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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Latest revision as of 10:16, 11 December 2020

मंगलेश डबराल
पूरा नाम मंगलेश डबराल
जन्म 16 मई, 1948
जन्म भूमि टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड
मृत्यु 9 दिसंबर 2020
मृत्यु स्थान दिल्ली
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र लेखन
मुख्य रचनाएँ 'पहाड़ पर लालटेन', 'घर का रास्ता', 'हम जो देखते हैं', 'लेखक की रोटी', 'घर का रास्ता', 'हम जो देखते हैं' आदि।
भाषा हिन्दी
प्रसिद्धि कवि
नागरिकता भारतीय
विधाएँ कविता, डायरी, गद्य, अनुवाद, संपादन, पत्रकारिता, पटकथा लेखन
अन्य जानकारी मंगलेश डबराल का सुंदर, सोद्देश्य गद्य उनकी यात्रा डायरी 'एक बार आयोवा' और 'लेखक की रोटी' में देखा जा सकता है।
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इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

मंगलेश डबराल (अंग्रेज़ी: Manglesh Dabral, जन्म- 16 मई, 1948, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड निधन- 9 दिसंबर 2020, दिल्ली) हिन्दी की आधुनिक कविता के अत्यंत सम्मानीय और शीर्ष रचनाकारों में से एक हैं। उन्होंने हिन्दी कविता को नये अनुभवों से सम्पन्न किया है। 'पहाड़ पर लालटेन' उनका पहला संग्रह था जो 1981 में आया और 'नये युग में शत्रु' सबसे नया संग्रह है जो 2013 में प्रकाशित हुआ। मंगलेश डबराल का सुंदर, सोद्देश्य गद्य उनकी यात्रा डायरी 'एक बार आयोवा' और 'लेखक की रोटी' में देखा जा सकता है। वह अपने समय के सिनेमा, सांस्कृतिक सवालों और संचार माध्यमों के अलावा विश्व की संवेदनशील घटनाओं पर टिप्पणी करते रहे हैं। विश्व कविता के उन्होंने कुछ सुनहरे अनुवाद किये हैं।

परिचय

मंगलेश डबराल का जन्म सन 16 मई, 1948 को टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड के कापफलपानी गाँव में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में हुई। दिल्ली आकर हिन्दी पैट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के बाद वे भोपाल में मध्य प्रदेश कला परिषद्, भारत भवन से प्रकाशित साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक रहे। इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित 'अमृत प्रभात' में भी कुछ दिन नौकरी की। सन् 1983 में 'जनसत्ता' में साहित्य संपादक का पद सँभाला। कुछ समय 'सहारा समय' में संपादन कार्य करने के बाद वह नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े रहे।[1]

दिल्ली हिन्दी अकादमी के साहित्यकार सम्मान, कुमार विकल स्मृति पुरस्कार और अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना 'हम जो देखते हैं' के लिए साहित्य अकादमी द्वारा 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मंगलेश डबराल की ख्याति अनुवादक के रूप में भी है।

लेखन कार्य

मंगलेश डबराल की कविताओं के भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, डच, स्पेनिश, पुर्तगाली, इतालवी, फ़्राँसीसी, पोलिश और बुल्गारियाई भाषाओं में भी अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। कविता के अतिरिक्त वे साहित्य, सिनेमा, संचार माध्यम और संस्कृति के विषयों पर नियमित लेखन भी करते हैं। मंगलेश की कविताओं में सामंती बोध एवं पूँजीवादी छल-छद्म दोनों का प्रतिकार है। वह यह प्रतिकार किसी शोर-शराबे के साथ नहीं अपितु प्रतिपक्ष में एक सुन्दर स्वप्न रचकर करते हैं। उनका सौंदर्य बोध सूक्ष्म है और भाषा पारदर्शी है।

कविता संग्रह

पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज़ भी एक जगह है, मुझे दिखा एक मनुष्य, नए युग में शत्रु, कवि ने कहा आदि।

गद्य संग्रह

लेखक की रोटी, कवि का अकेलापन आदि।

यात्रा डायरी

एक बार आयोवा

पटकथा लेखन

नागार्जुन, निर्मल वर्मा, महाश्वेता देवी, यू. आर. अनंतमूर्ति, कुर्रतुल ऐन हैदर तथा गुरुदयाल सिंह पर केंद्रित वृत्त चित्रों का पटकथा लेखन।

संपादन

रेतघड़ी (राजस्थान के शिक्षक कवियों की कविताएँ), कविता उत्तरशती (पचास वर्षों की प्रतिनिधि कविताओं का संकलन)[2]

अनुवाद

भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, डच, फ्रांसीसी, स्पानी, इतालवी, पुर्तगाली, बल्गारी, पोल्स्की आदि विदेशी भाषाओं के कई संकलनों और पत्र-पत्रिकाओं में मंगलेश डबराल की कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। इसके अतिरिक्त मरिओला ओफ्रे़दी द्वारा उनके कविता सँग्रह ‘आवाज़ भी एक जगह है’ का इतालवी अनुवाद ‘अंके ला वोचे ऐ उन लुओगो’ नाम से तथा अँग्रेज़ी अनुवादों का एक चयन ‘दिस नम्बर दज़ नॉट एग्ज़िस्ट’ प्रकाशित हो चुका है। मंगलेश डबराल द्वारा बेर्टोल्ट ब्रेष्ट, हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर, यानिस रित्सोस, जि़्बग्नीयेव हेर्बेत, तादेऊष रूज़ेविच, पाब्लो नेरूदा, एर्नेस्तो कार्देनाल, डोरा गाबे आदि की कविताओं का अँग्रेज़ी से हिन्दी में किए गए अनुवाद भी प्रकाशित हुए हैं।[3]

पुरस्कार व सम्मान

मंगलेश डबराल को निम्न पुरस्कार व सम्मान से नवाज़ा गया है-

  1. ओमप्रकाश स्मृति सम्मान (1982)
  2. श्रीकान्त वर्मा पुरस्कार (1989)
  3. साहित्य अकादमी पुरस्कार (2000)
  4. शमशेर सम्मान
  5. पहल सम्मान
  6. कुमार विकल स्मृति सम्मान
  7. हिंदी अकादमी का साहित्यकार सम्मान

निधन

हिन्दी के प्रख्यात कवि, पत्रकार व साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मंगलेश डबराल का बुधवार, 9 दिसंबर 2020 को कोरोना वायरस संक्रमण से निधन हो गया। वे 72 वर्ष के थे। करीब 12 दिन पहले कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आए डबराल ने एम्स में आखिरी सांस ली।[4]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मंगलेश डबराल (हिंदी) newswriters.in। अभिगमन तिथि: 12 अप्रॅल, 2020।
  2. मंगलेश डबराल (हिंदी) hindisamay.com। अभिगमन तिथि: 12 अप्रॅल, 2020।
  3. मंगलेश डबराल (हिंदी) kavitakosh.org। अभिगमन तिथि: 12 अप्रॅल, 2020।
  4. हिन्दी के प्रख्यात कवि व पत्रकार मंगलेश डबराल का Coronavirus से निधन (हिंदी) webdunia.com। अभिगमन तिथि: 9 दिसंबर, 2020।

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