गोपाल चतुर्वेदी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''गोपाल चतुर्वेदी''' (अंग्रेज़ी: ''Gopal Chaturvedi'', जन्म- 15 अगस...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
(2 intermediate revisions by the same user not shown)
Line 1: Line 1:
'''गोपाल चतुर्वेदी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Gopal Chaturvedi'', जन्म- [[15 अगस्त]], [[1942]]) [[भारत]] के महत्त्वपूर्ण व्यंग्य-हस्ताक्षर हैं। व्यंग्य को व्यवस्थागत विसंगतियों पर चोट करने का कारगर हथियार बनाकर संघर्ष करने की विरल लेखकीय पंरपरा में गोपाल चतुर्वेदी का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। अपनी हास्य-व्यंग्यपरक कृतियों के माध्यम से वे जहाँ एक तरफ़ जड़ हो चुके मूल्यों की शिनाख्त करते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ उन्हीं उपकरणों से उस जड़ता को भंग कर विवेकशील चेतना के अविरल प्रवाह का मार्ग प्रशस्त करते हैं। साल [[2013]] में गोपाल चतुर्वेदी को '[[राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान]]' से सम्मानित किया गया था।
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
|चित्र=Gopal-Chaturvedi.jpg
|चित्र का नाम=गोपाल चतुर्वेदी
|पूरा नाम=गोपाल चतुर्वेदी
|अन्य नाम=
|जन्म=[[15 अगस्त]], [[1942]]
|जन्म भूमि=[[लखनऊ]], [[उत्तर प्रदेश]]
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=
|पालक माता-पिता=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म-क्षेत्र=व्यंग्य काव्य
|मुख्य रचनाएँ=‘अफसर की मौत’, ‘दुम की वापसी’, ‘राम झरोखे बैठ के’ तथा 'फ़ाइल पढ़ी' आदि।
|विषय=
|भाषा=[[हिन्दी]], [[अंग्रेज़ी]]
|विद्यालय=सिंधिया स्कूल, [[ग्वालियर]]<br/>
हमीदिया कॉलेज, [[भोपाल]]<br/>
एम.ए., [[अंग्रेज़ी]], [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]]
|शिक्षा=
|पुरस्कार-उपाधि=[[राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान]], [[2013]]
|प्रसिद्धि=व्यंग्य कवि
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=गोपाल चतुर्वेदी ने अपने व्यंग्य लेखों के माध्यम से युगीन सत्यों, वक्त की पेचीदगियों, आपाधापियों, विपरीत परिस्थितियों, धार्मिक आडंबरों तथा रूढ़िगत मान्यताओं पर गहरा प्रहार किया है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन={{अद्यतन|17:17, 13 अक्टूबर 2022 (IST)}}
}}'''गोपाल चतुर्वेदी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Gopal Chaturvedi'', जन्म- [[15 अगस्त]], [[1942]]) [[भारत]] के महत्त्वपूर्ण व्यंग्य-हस्ताक्षर हैं। व्यंग्य को व्यवस्थागत विसंगतियों पर चोट करने का कारगर हथियार बनाकर संघर्ष करने की विरल लेखकीय पंरपरा में गोपाल चतुर्वेदी का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। अपनी हास्य-व्यंग्यपरक कृतियों के माध्यम से वे जहाँ एक तरफ़ जड़ हो चुके मूल्यों की शिनाख्त करते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ उन्हीं उपकरणों से उस जड़ता को भंग कर विवेकशील चेतना के अविरल प्रवाह का मार्ग प्रशस्त करते हैं। साल [[2013]] में गोपाल चतुर्वेदी को '[[राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान]]' से सम्मानित किया गया था।
==परिचय==
==परिचय==
गोपाल चतुर्वेदी का जन्म 15 अगस्त, 1942 को [[लखनऊ]], [[उत्तर प्र्देश]] में हुआ और प्रारंभिक शिक्षा सिंधिया स्कूल, [[ग्वालियर]] में हुई। हमीदिया कॉलेज, [[भोपाल]] में कॉलेज का अध्ययन समाप्त कर उन्होंने [[प्रयाग विश्वविद्यालय]] से [[अंग्रेज़ी]] में एम.ए. किया। भारतीय रेल लेखा सेवा में चयन के बाद सन [[1965]] से [[1993]] तक रेल व [[भारत सरकार]] के कई मंत्रालयों में उच्च पदों पर काम किया।
गोपाल चतुर्वेदी का जन्म 15 अगस्त, 1942 को [[लखनऊ]], [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ और प्रारंभिक शिक्षा सिंधिया स्कूल, [[ग्वालियर]] में हुई। हमीदिया कॉलेज, [[भोपाल]] में कॉलेज का अध्ययन समाप्त कर उन्होंने [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय|प्रयाग विश्वविद्यालय]] से [[अंग्रेज़ी]] में एम.ए. किया। भारतीय रेल लेखा सेवा में चयन के बाद सन [[1965]] से [[1993]] तक रेल व [[भारत सरकार]] के कई मंत्रालयों में उच्च पदों पर काम किया।
==लेखन कार्य==
==लेखन कार्य==
छात्र जीवन से ही लेखन से जुड़े गोपाल चतुर्वेदी के दो काव्य-संग्रह ‘कुछ तो हो’ तथा ‘धूप की तलाश’ प्रकाशित हो चुके हैं। पिछले ढाई दशकों से लगातार व्यंग्य-लेखन से जुड़े रहकर हर पत्र-पत्रिका में प्रकाशित होते रहे हैं। ‘सारिका’ और हिंदी ‘इंडिया टुडे’ में सालोसाल व्यंग्य-कॉलम लिखने के बाद प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘साहित्य अमृत’ में उसके प्रथम अंक से नियमित कॉलम लिख रहे हैं। उनके दस व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें तीन ‘अफसर की मौत’, ‘दुम की वापसी’ और ‘राम झरोखे बैठ के’ को हिंदी अकादमी, दिल्ली का श्रेष्ठ ‘साहित्यिक कृति पुरस्कार’ प्राप्त हुआ है।
छात्र जीवन से ही लेखन से जुड़े गोपाल चतुर्वेदी के दो काव्य-संग्रह ‘कुछ तो हो’ तथा ‘धूप की तलाश’ प्रकाशित हो चुके हैं। पिछले ढाई दशकों से लगातार व्यंग्य-लेखन से जुड़े रहकर हर पत्र-पत्रिका में प्रकाशित होते रहे हैं। ‘सारिका’ और हिंदी ‘इंडिया टुडे’ में सालोसाल व्यंग्य-कॉलम लिखने के बाद प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘साहित्य अमृत’ में उसके प्रथम अंक से नियमित कॉलम लिख रहे हैं। उनके दस व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें तीन ‘अफसर की मौत’, ‘दुम की वापसी’ और ‘राम झरोखे बैठ के’ को हिंदी अकादमी, दिल्ली का श्रेष्ठ ‘साहित्यिक कृति पुरस्कार’ प्राप्त हुआ है।

Latest revision as of 11:47, 13 October 2022

गोपाल चतुर्वेदी
पूरा नाम गोपाल चतुर्वेदी
जन्म 15 अगस्त, 1942
जन्म भूमि लखनऊ, उत्तर प्रदेश
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र व्यंग्य काव्य
मुख्य रचनाएँ ‘अफसर की मौत’, ‘दुम की वापसी’, ‘राम झरोखे बैठ के’ तथा 'फ़ाइल पढ़ी' आदि।
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी
विद्यालय सिंधिया स्कूल, ग्वालियर

हमीदिया कॉलेज, भोपाल
एम.ए., अंग्रेज़ी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय

पुरस्कार-उपाधि राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान, 2013
प्रसिद्धि व्यंग्य कवि
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी गोपाल चतुर्वेदी ने अपने व्यंग्य लेखों के माध्यम से युगीन सत्यों, वक्त की पेचीदगियों, आपाधापियों, विपरीत परिस्थितियों, धार्मिक आडंबरों तथा रूढ़िगत मान्यताओं पर गहरा प्रहार किया है।
अद्यतन‎
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

गोपाल चतुर्वेदी (अंग्रेज़ी: Gopal Chaturvedi, जन्म- 15 अगस्त, 1942) भारत के महत्त्वपूर्ण व्यंग्य-हस्ताक्षर हैं। व्यंग्य को व्यवस्थागत विसंगतियों पर चोट करने का कारगर हथियार बनाकर संघर्ष करने की विरल लेखकीय पंरपरा में गोपाल चतुर्वेदी का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। अपनी हास्य-व्यंग्यपरक कृतियों के माध्यम से वे जहाँ एक तरफ़ जड़ हो चुके मूल्यों की शिनाख्त करते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ उन्हीं उपकरणों से उस जड़ता को भंग कर विवेकशील चेतना के अविरल प्रवाह का मार्ग प्रशस्त करते हैं। साल 2013 में गोपाल चतुर्वेदी को 'राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान' से सम्मानित किया गया था।

परिचय

गोपाल चतुर्वेदी का जन्म 15 अगस्त, 1942 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ और प्रारंभिक शिक्षा सिंधिया स्कूल, ग्वालियर में हुई। हमीदिया कॉलेज, भोपाल में कॉलेज का अध्ययन समाप्त कर उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में एम.ए. किया। भारतीय रेल लेखा सेवा में चयन के बाद सन 1965 से 1993 तक रेल व भारत सरकार के कई मंत्रालयों में उच्च पदों पर काम किया।

लेखन कार्य

छात्र जीवन से ही लेखन से जुड़े गोपाल चतुर्वेदी के दो काव्य-संग्रह ‘कुछ तो हो’ तथा ‘धूप की तलाश’ प्रकाशित हो चुके हैं। पिछले ढाई दशकों से लगातार व्यंग्य-लेखन से जुड़े रहकर हर पत्र-पत्रिका में प्रकाशित होते रहे हैं। ‘सारिका’ और हिंदी ‘इंडिया टुडे’ में सालोसाल व्यंग्य-कॉलम लिखने के बाद प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘साहित्य अमृत’ में उसके प्रथम अंक से नियमित कॉलम लिख रहे हैं। उनके दस व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें तीन ‘अफसर की मौत’, ‘दुम की वापसी’ और ‘राम झरोखे बैठ के’ को हिंदी अकादमी, दिल्ली का श्रेष्ठ ‘साहित्यिक कृति पुरस्कार’ प्राप्त हुआ है।

व्यंग्य संग्रह

अपनी व्यंग्य रचनाओं के लिए गोपाल चतुर्वेदी प्रसिद्ध हैं। उनके कुछ व्यंग्य संग्रह इस प्रकार हैं-

  • अफ़सर की मौत
  • दुम की वापसी
  • राम झरोखे बैठ के
  • फ़ाइल पढ़ी

भाषा-शैली

व्यंग्य चाहे किसी भी अंदाज, शैली या विधा में उभरकर आया हो, उसने सदैव जीवन और समाज में व्याप्त कुंठा, स्वार्थपरता, छल-छद्म, अमानवीयता आदि की बखिया उधेड़ी है। गोपाल चतुर्वेदी ने अपने व्यंग्य लेखों के माध्यम से युगीन सत्यों, वक्त की पेचीदगियों, आपाधापियों, विपरीत परिस्थितियों, धार्मिक आडंबरों तथा रूढ़िगत मान्यताओं पर गहरा प्रहार किया है। लेखक ने अपने लंबे लेखकीय और प्रशासकीय अनुभव से जिन विसंगतियों, विद्रूपताओं, विडंबनाओं, असहनीय परिस्थितियों को देखा-परखा तथा जाना-पहचाना है, उन्हें अपनी बेबाक, मधुर मगर तीखी खिलदड़ी शैली में मुक्त भाव से व्यक्त किया है।

गोपाल चतुर्वेदी की लेखन यात्रा उन्हें बराबर मानवीय बने रहने और मनुष्यता, न्याय, सटीकता के प्रबल पक्षधर के रूप में प्रस्तुत करती है। लेखक के जीवन सापेक्ष, सकारात्मक सोच संपन्न व्यंग्यों में उनके परिपक्व अनुभवों, मनुष्य की नैसर्गिक दुर्बलताओं और मानसिकताओं का अंकन, देश-विदेश के जन-जीवन की व्यापक जानकारी, समस्याओं की तह तक पहुँचने की तत्परता, आहत दायित्व, संघर्षरत मनुष्यों के प्रति गहरी क्षमता ने उन्हें संवेदनशील हृदयों का चहेता व्यंग्यकार बना दिया है।

पुरस्कार एवं सम्मान

गोपाल चतुर्वेदी को निम्निखित सम्मानों एवं पुरस्कारों से नवाज़ा गया है-


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख